– नए नियमों के अनुसार, कॉलेजों को हर पाठ्यक्रम के लिए शुल्क पहले से घोषित करना होगा
नई दिल्ली। स्नातकोत्तर मेडिकल प्रवेश के लिए काउंसिलिंग अब केवल आॅनलाइन मोड में होगी और कॉलेजों को प्रत्येक पाठ्यक्रम के लिए शुल्क पहले से घोषित करना होगा। साथ ही राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने कहा है कि कोई भी कॉलेज खुद अपने से उम्मीदवारों को प्रवेश नहीं देगा।
चिकित्सा शिक्षा नियामक एनएमसी ने हाल ही में स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा विनियम, 2023 को अधिसूचित किया है। इसके अनुसार, सभी पीजी सीटों के लिए सभी दौर की काउंसिलिंग राज्य या केंद्रीय परामर्श अधिकारियों की ओर से आॅनलाइन मोड पर आयोजित की जाएगी। नए नियमों में कहा गया है कि सभी मेडिकल संस्थानों के लिए मेडिसिन में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए सामान्य काउंसलिंग केवल संबंधित परीक्षाओं की योग्यता सूची के आधार पर होगी। इसमें कहा गया है कि सभी सीटों के लिए सभी राउंड की काउंसलिंग राज्य या केंद्रीय काउंसिलिंग प्राधिकरण द्वारा आॅनलाइन मोड पर आयोजित की जाएगी और कोई भी मेडिकल कॉलेज/संस्थान स्वयं किसी भी उम्मीदवार को प्रवेश नहीं देगा।
नए नियमों में कहा गया है कि सीट मैट्रिक्स में विवरण दर्ज करते समय, मेडिकल कॉलेजों को प्रत्येक पाठ्यक्रम के लिए फीस की राशि का उल्लेख करना होगा, ऐसा न करने पर सीट की गणना नहीं की जाएगी। एनएमसी के पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. विजय ओझा ने कहा कि परीक्षा प्रणाली में कुछ बदलाव भी पेश किए गए हैं जिनमें रचनात्मक मूल्यांकन और विश्वविद्यालय परीक्षाओं में बहुविकल्पीय प्रश्नों का विकल्प शामिल है। इसका उद्देश्य परीक्षा में निष्पक्षता लाना और अंतरराष्ट्रीय मानकों से तालमेल बिठाना है।
छात्रों के बेहतर प्रशिक्षण के लिए इसके कार्यान्वयन की सुविधा के लिए जिला रेजीडेंसी कार्यक्रम (डीआरपी) में एक और बदलाव किया गया है। पहले जिला अस्पताल को 100 बिस्तरों वाले अस्पताल के रूप में परिभाषित किया गया था। नए नियमों में आवश्यकता को घटाकर 50 बिस्तर कर दिया गया है। डीआरपी का मकसद जमीनी स्तर पर स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के लिए जिला स्वास्थ्य प्रणालियों और अस्पतालों में स्नातकोत्तर छात्रों को प्रशिक्षित करना है।