Home देश भ्रामक विज्ञापन मामले में ड्रग्स विभाग को लगाई फटकार

भ्रामक विज्ञापन मामले में ड्रग्स विभाग को लगाई फटकार

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  • सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि के विज्ञापनों पर भी निर्देश दिये

एजेंसी, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन मामले में सुनवाई के दौरान मंगलवार को उत्तराखंड लाइसेंसिंग अथॉरिटी को फटकार लगाई। कोर्ट ने भ्रामक विज्ञापनों को लेकर अथॉरिटी की निष्क्रियता पर सवाल उठाते हुए कहा कि अब आप नींद से जागे हैं।

कोर्ट में पतंजलि मामले पर सुनवाई शुरू होने पर वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने रामदेव और आचार्य बालकृष्ण की तरफ से दलील दी कि हमने जो माफीनामा अखबारों में दिया था उसे कोर्ट रजिस्ट्री में जमा कर दिया है। इसके बाद मुकुल रोहतगी ने अखबारों में छपा माफीनामा दिखाया।

इस पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि आपने ओरिजनल रिकॉर्ड क्यों नही दिए? आपने ई-फाइलिंग क्यों की? इसमें तो बहुत इसमें तो बहुत ज्यादा कन्फ्यूजन है. हम अपने हाथ खड़े कर रहे है। हमने ओरिजनल कॉपी मांगी थी, वो कहां है? इस पर रामदेव के वकील बलबीर सिंह ने कहा कि हो सकता है मेरी अज्ञानता की वजह से ऐसा हुआ हो।

कोर्ट ने कहा कि हालांकि, पिछली बार जो माफीनामा आपने छापा था,वो छोटा था और उसमें केवल पतंजलि लिखा था। लेकिन इस बार का माफीनामा बड़ा है। हम इसके लिए आपकी सराहना करते हैं कि आखिरकार आपको हमारी बात समझ में आ गई। आप सिर्फ अखबार और इस दिन की तारीख का माफीनामा जमा करें उत्तराखंड स्टेट लाइसेंसिंग अथॉरिटी ने कोर्ट को बताया कि पतंजलि और उसकी इकाई दिव्या फामेर्सी के 14 मैन्युफैक्चरिंग लाइसेंस को तत्काल प्रभाव से 15 अप्रैल को रद्द कर दिया गया था। इस पर कोर्ट ने कहा कि अब आप नींद से जागे हैं।

अदालत ने कहा कि इससे पता चलता है कि जब आप कुछ करना चाहते हो तो आप पूरी तेजी से करते हैं, लेकिन जब आप नहीं करना चाहते तो इसमें सालों लग जाते हैं। आपने तीन दिनों में एक्शन लिया। लेकिन आप बीते नौ महीनों से क्या कर रहे थे? अब आप नींद से जागे हो। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड आयुष विभाग के लाइसेंस प्राधिकरण पर जुमार्ना लगाया है। कोर्ट ने पूछा कि आपने जो पतंजलि फामेर्सी की 14 दवाओं का उत्पादन सस्पेंड किया है, वो कब तक है? इस पर आयुष विभाग ने कहा कि उन्हे संबंधित विभाग के पास तीन महीने के भीतर अपील दाखिल करनी होगी।

इस पर कोर्ट ने कहा कि आपको ये सब पहले ही करना चाहिए था। कोर्ट ने ज्वाइंट डायरेक्टर मिथिलेश कुमार से पूछा कि पिछले नौ महीनों में आपने क्या कार्रवाई की है? इसका हलफनामा दायर करें अगर पिछले हलफनामे पर जाएं तो आपने कोई कार्रवाई ही नहीं की है। आप बाद मैं मत कहिएगा की आपको मौका नही दिया गया। इसके बाद कोर्ट ने मिथिलेश कुमार को जमकर फटकार लगाई।

कोर्ट ने ड्रग लाइसेंस अथॉरिटी के हलफनामे पर असंतुष्टि जताते हुए कहा कि इस तरह का ढीला ढाला रवैया कतई उचित नहीं है। आपको हलफनामा दाखिल करते वक्त कई चीज चीजों का ध्यान रखना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि हम आपका हलफनामा स्वीकार करते हुए एक लाख रुपए का जुमार्ना लगाते हैं। हालांकि कोर्ट ने हलफनामे को वापस देते हैं और पांच मिनट में ठीक करके जमा कराएं।

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