-ट्रांसफर से कुछ घंटे पहले ही कमिश्नर ने सुप्रीम कोर्ट को नजरअंदाज कर जारी किया था एक आदेश।
शारदा रिपोर्टर मेरठ। सेंट्रल मार्केट में अब कोई दुकान ध्वस्त नहीं होगी। जैसे ही यह घोषणा भाजपा सांसद अरुण गोविल ने मंगलवार शाम सेंट्रल मार्केट में चल रहे व्यापारियों के आंदोलन में पहुंचकर की तो उसके कुछ घंटे बाद ही मेरठ कमिश्नर ऋषिकेश यशोद भास्कर का ट्रांसफर हो गया।
यह ट्रांसफर ऐसे वक्त पर हुआ है, जब कमिश्नर ने सेंट्रल मार्केट के अवैध निमार्णों को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला लिया गया था। चर्चा है कि कमिश्नर का सुप्रीम आदेश को नजर अंदाज करना भारी पड़ गया।
25 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सेंट्रल मार्केट का बहुमंजिला काम्पलेक्स जमींदोज कर दिया गया। इस कार्यवाही कि बाद आवास एवं विकास परिषद के साथ ही भाजपा नेताओं को लेकर भी आक्रोश फैल गया।
हालत यह हो गए कि भाजपा का कोई नेता और जनप्रतिनिधि व्यापारियों के बीच आने का साहस नहीं जुटा पाया। 3 दिन से व्यापारियों में नाराजगी बढ़ती जा रही थी, जिसे देख सत्ता पक्ष में खलबली मची थी।
भाजपाइयों के प्रति बढ़ रही नाराजगी का समाजवादी पार्टी के विधायक अतुल प्रधान ने पूरा फायदा उठाया और सोमवार को लखनऊ से लौटते ही सेंट्रल मार्केट के व्यापारियों के बीच पहुंच गए। व्यापारियों के बीच सपा विधायक की दमदार एंट्री ने चौतरफा हलचल बढ़ा दी। पिछले 5 दिन से नदारद भाजपा सांसद, विधायक और अन्य जनप्रतिनिधि आनन फानन में मंगलवार को नाराज व्यापारियों को मनाने पहुंच गए।
कमिश्नर के एक आदेश को बनाया आधार: अभी तक सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हवाला देकर खुद का बचाव करते आ रहे भाजपा नेता मंगलवार को खुलकर सामने आ गए। इसकी वजह वह आदेश था जो मेरठ कमिश्नर ऋषिकेश यशोद भास्कर द्वारा जारी किया गया था और भाजपाई उसे लेकर आए थे। कैंट विधायक अमित अग्रवाल ने उनके इस आदेश को पढ़कर सुनाया तो व्यापारियों की खुशी का ठिकाना ना रहा। इस आदेश में वह सब शामिल था जिसकी व्यापारी सत्ता पक्ष भाजपा से उम्मीद कर रहे थे।
चंद घंटे के अंदर कमिश्नर का तबादला
सेंट्रल मार्केट की कार्रवाई के बाद भाजपाइयों का पहला उद्देश्य डैमेज कंट्रोल था। काफी हद तक वह इसमें सफल भी हो चुके थे लेकिन कुछ घंटे बाद ही ऐसा हुआ कि खतरे की घंटी फिर बज उठी। व्यापारियों या कहें तो भाजपाइयों के पक्ष में आदेश जारी करने वाले मेरठ कमिश्नर ऋषिकेश यशोद भास्कर का तबादला हो गया। हालांकि प्रदेश में बड़े स्तर पर आईएएस और पीसीएस अफसर के तबादले हुए लेकिन मेरठ कमिश्नर के तबादले को सुप्रीम चुनौती से जोड़कर देखा जा रहा है। उनके तबादले के पीछे की वजह सेंट्रल मार्केट को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी किए गए आदेश को उनके द्वारा अप्रभावी बनाने का प्रयास माना जा रहा है।