• मंदिरों में सजावट का काम जोरो पर,

  • औघड़नाथ मंदिर सजकर तैयार

शारदा न्यूज़, संवाददाता, मेरठ |

 

 नमस्कार, shardanews.in वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनन्दन है। आपको बता दें आज से शुभ संयोग में सावन महीना शुरू हो गया। मान्यता है कि सावन महीना भगवान शंकर के सबसे प्रिय महीनों में से एक है। इस माह भगवान शंकर औ मां पार्वती की पूजा करने से वैवाहिक जीवन खुशहाल होने के साथ ही मनोकामना पूरी होने की भी मान्यता है। भगवान शिव को समर्पित सावन माह की शुरुआत आज से हो रही हैं, जिसकों लेकर शहर के सभी शिवालयों में साफ-सफाई और रंग-रोगन का काम शुरु हो चुका हैं, वहीं औघड़नाथ मंदिर पर भी सजावट का काम लगभग पूरी हो चुका है।

 

दरअसल सावन के पहले सोमवार की तैयारियां भी मंदिर परिसर में शुरु हो गई। मान्यता है कि भगवान शंकर की कृपा पाने के लिए यह महीना अति उत्तम होता है। सावन माह का श्रावण मास के नाम से भी जाना जाता है। इस माह भगवान शंकर की विधि-विधान के साथ पूजा अर्चना की जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार सावन महीने में देवों के देव महादेव सच्चे मन से पूजा-अर्चना करने वाले भक्तों को दुखों से मुक्ति दिलाते है और मनोकामना पूरी करते है।

 

आपको बता दें ज्योतिषाचार्य विष्णु शास्त्री का कहना है कि इस वर्ष सावन 58 दिनों का होगा यानी शिवजी की पूजा-पाठ और भक्ति के लिए सावन का महीना दो माह का होगा। आज से सावन का पवित्र महीना शुरू होकर 31 अगस्त तक चलेगा। इस दौरान 18 जुलाई से 16 अगस्त तक अधिक मास रहेगा। इसी कारण से इस वर्ष सावन का महीना दो माह का होगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार देवशयनी एकादशी से लेकर देवउठनी एकादशी तक भगवान विष्णु योगनिद्रा में होते हैं।

ऐसे में सृष्टि का संचालन भगवान शिव के हाथों में रहता है। अधिकमास के चलते इस बार चातुर्मास चार के बजाय पांच महीनों का होगा। सावन का महीना भगवान शिव को बहुत ही प्रिय होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार सावन का महीना पांचवां महीना होता है।

 

यह है सावन माह की प्रमुख तिथियां

इस साल अधिकमास के कारण सावन का महीना 58 दिनों तक चलेगा। सावन महीने की शुरुआत के साथ ही कई व्रत-त्योहार भी आरंभ हो जाते हैं। 4 जुलाई से सावन का महीना शुरू होकर 31 अगस्त तक रहेगा। इस दौरान कई त्योहार मनाए जाएंगे। 6 जुलाई को संकष्टी चतुर्थी, 13 जुलाई को कामिका एकादशी, 15 जुलाई को मासिक शिवरात्रि, 17 जुलाई को श्रावण माह की अमावस्या, 19 अगस्त को हरियाली तीज, 21 अगस्त नाग पंचमी, 30 अगस्त को रक्षा बंधन का त्योहार मनाया जाएगा।

 

सावन सोमवार व्रत का महत्व

इस बार सावन का महीना 58 दिनों तक चलेगा। जिसके कारण से सावन के महीने में कुल 8 सोमवार व्रत रखे जाएंगे। सावन का महीना शिवजी की आराधना के लिए सर्वश्रेष्ठ महीना माना जाता है क्योंकि ऐसी मान्यता है कि सावन के महीने में भगवान शिव जल्द प्रसन्न होकर सभी तरह की मनोकामनाओं को पूरा करते हैं। श्रावण के महीने में तो हर दिन शिवजी और माता पार्वती की पूजा होती है, लेकिन सावन सोमवार का व्रत बहुत ही खास रहता है।

 

शास्त्रों में सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित होता है। इस कारण से सावन सोमवार का महत्व होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावन के महीने ही मां पार्वती ने भगवान शिवजी को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था। मां पार्वती की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। इस तरह से मां पार्वती का विवाह भगवान शिव के साथ हुआ। ऐसे में सावन का महीना भगवान शिव और माता पार्वती दोनों का प्रिय महीना था। इस कारण से सावन के महीने में पड़ने वाले हर सोमवार का काफी महत्व होता है।

 

सावन का महीना और इसमें पड़ने वाले सोमवार व्रत का सुहागिन महिलाओं और कुंवारी कन्याओं के लिए बहुत ही खास होता है। सावन सोमवार के दिन विवाहित महिलाएं दिनभर व्रत रखते हुए शिवजी और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करते हुए पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। वहीं दूसरी तरफ सावन सोमवार का व्रत कुंवारी कन्याएं शिवजी की पूजा करते हुए अपने लिए सुयोग्य वर की कामना करती हैं।

 

भोलेनाथ को यह सामान करे अर्पित

  • शमी के पत्ते: शमी को शनिदेव का पेड़ माना जाता है। इसलिए शिवलिंग पर इसके पत्ते चढ़ाने से भोलेनाथ के साथ-साथ शनि देव भी प्रसन्न होते है।
  • धतूरा: सावन में शिवलिंग पर धतूरा चढ़ाने की परंपरा है। क्योंकि धतूरा भगवान शिव को अधिक प्रिय है। शिवलिंग पर धतूरा चढ़ाने से पुत्र की प्राप्ति भी होती है।
  • भांग: भगवान शिव को भांग भ बेहद प्रिय है वैसे तो यह एक नशीला पदार्थ होता हैं, लेकिन आयुर्वेद के साथ-साथ शिव की पूजा में इसका विशेष महत्व होता है। भांग से शिव का शृंगार करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
  • बिल्व पत्र: जीवन में कोई संकट हो या काम में रुकावट आ रही हो तो सावन में भगवान शिव को बिल्व पत्र अवश्य चढ़ाए। क्योंकि इसमें भगवान शिव का वास होता है।
  • आक या मदार के फूल: भगवान शिव को आक के फूल भी अर्पित किए जाते है। शिवपुराण के अनुसार लाल और सफेद रंग के आके के फूल शिवजी पर चढ़ाने से मोक्ष क प्राप्ति होती है।

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