- सेवानिवृत्त पेंशनभोगी कर्मचारियों ने प्रधानमंत्री के नाम संबोधित ज्ञापन डीएम को सौंपा।
शारदा रिपोर्टर मेरठ। फायनेन्शियल बिल 2025 में पेंशनर नियमों के बदलाव, अन्य तरीकों से देश के करोड़ों कर्मचारियों, शिक्षकों एवं पेंशनरों के हितों पर हो रहे कुठाराघात के निवारण एवं सरकार की घोषणा के बावजूद आठवें वेतन अयोग का गठन अभी तक न किये जाने के विरोध में मंगलवार को सेवानिवृत्त कर्मचारी एवं पेंशनर्स एसोसिएशन के दर्जनों सदस्य कलेक्ट्रेट पहुंचे। इस दौरान उन्होंने एक ज्ञापन डीएम कार्यालय पर सौंपते हुए समस्या के समाधान की मांग की।
ज्ञापन सौंपते हुए उन्होंने बताया कि, इसी वर्ष के प्रारम्भ में आठवें वेतन आयोग की घोषणा से देश के कर्मचारियों, शिक्षकों एवं पेंशनरें में एक सन्देश गया कि, सरकार अपने कर्मचारियों, शिक्षकों एवं पेंशनरों के वेतन एवं पेंशन का पुनरीक्षण 1 जनवरी, 2026 से कराना चाहती है, जिससे एक खुशी का वातावरण उत्पन्न हुआ। परन्तु जैसे जैसे समय बीतता गया वैसे वैसे निराशा भी होने लगी, क्योंकि अभी तक आठवें वेतन आयोग के गठन की कार्यवाही नहीं की गयी है।
इसे लेकर कर्मचारियों, शिक्षकों एवं पेंशनरों में निराशा का भाव उत्पन्न हो ही रहा था कि इसी मध्य फायनेन्शियल बिल 2025 एक कानून के रूप में सामने आ गया। इस बिल में पूर्व पेंशनरी नियमों में बदलाव करके पेंशनरों के समूह में भेद पैदा करने का प्रयास किया गया, जिसका सीधा सा मतलब यह हुआ कि दिनांक 31 दिसम्बर, 2025 तक सेवानिवृत्त पेंशनरों की पेंशन का पुनरीक्षण नहीं किया जायेगा। इस तरह पेंशनरों की पेंशन का पुनरीक्षण, कर्मचारियों के वेतन पुनरीक्षण से डी-लिंक हो जायेगा।
ज्ञापन में मांग की गई कि केंद्रीय आठवें वेतन आयोग के गठन की कार्यवाही पूर्ण कर उसके नियम एवं शर्तों में पेशन के पुनरीक्षण का विषय भी संदर्भित किया जाए। कर्मचारियों, शिक्षकों एवं पेंशनरों के वेतन पुनरीक्षण की तिथि एवं वेतन निर्धारण के प्रचलित नियमों के अनुरूप ही पेंशनरों की पेंशन के पुनरीक्षण की तिथि एवं सिद्धान्त में समानता रखी जाए। पेंशनरों की पेंशन राहत का शासनादेश कर्मचारियों, शिक्षकों के मंगहाई मत्ते के शासनोदश की तिथि को ही जारी किया जाए। मंहगाई राहत को मंहगाई भत्ते से डी-लिंक न किया जाए। देश में एनपीएस और यूपीएस की व्यवस्था के स्थान पर कर्मचारियों एवं शिक्षकों को परिभाषित लाभ पेंशन योजना ओटीएस ही प्रदान की जाए और पेंशन के राशिकरण की हो रही कटौती 15 वर्ष से घटाकर 10 वर्ष लाई जाने की मांग की।