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Thursday, December 25, 2025
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बरेली: तीन घंटे धधकती रही डेलापीर मंडी, फल मंडी में लगी भीषण आग से पांच करोड़ का नुकसान

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  • धधकती रही डेलापीर मंडी, पानी न होने से जूझा अग्निशमन दल
  • भीषण आग से करीब पांच करोड़ का नुकसान।

बरेली। डेलापीर फल मंडी में गुरूवार आधी रात भीषण आग लग गई। इससे 28 दुकानें जलकर राख हो गईं। इनमें रखे करीब पांच करोड़ रुपये के फल भी जलकर नष्ट हो गए। अग्निशमन दल के देरी से पहुंचने की वजह से आग फैलती चली गई। मंडी में आग बुझाने के इंतजाम नहीं थे। मंडी के ओवरहेड टैंक का मोटर डेढ़ साल से खराब है। मौके पर पहुंची दमकल टीम को पानी नहीं मिला। इस पर दमकल टीम ने दूसरे संसाधनों को तलाशना शुरू किया। अंदर पानी की आपूर्ति का कोई साधन न होने से जहां दमकल स्टाफ बेबस हो गया, वहीं आग भड़कती रही।

रात करीब 11:30 बजे फल मंडी के ज्यादातर कारोबारी अपनी दुकानें बंदकर घर जा चुके थे। फल मंडी के शेड में आठ नंबर दुकान के पास अचानक लपटें उठने लगीं। दूसरी आढ़त पर मौजूद फल कारोबारी बबलू ने यह देखकर शोर मचाया तो कुछ व्यापारी व उनके कर्मचारी आ गए। इन लोगों ने आग बुझाने का प्रयास किया, लेकिन नाकाम रहे।

कारोबारियों ने मंडी गेट पर मौजूद पुलिसकर्मियों को सूचना दी। उसी वक्त अग्निशमन विभाग को सूचना दे दी गई, लेकिन टीम 45 मिनट बाद मौके पर पहुंची। पांच फायर ब्रिगेड वाहन आग बुझाने में जुट गए। मंडी में पानी न होने से टीम को बाहर से पानी लाना पड़ा।
डेलापीर चौराहे के पास हाइड्रेंट तो मिला, लेकिन पानी खत्म होने के बाद हर बार टीम को बाहर की दौड़ लगानी पड़ रही थी। रात दो बजे आग पर काबू पाया जा सका। करीब तीन घंटे तक दुकानों से लपटें उठती रहीं। आग से बबार्दी देख कई कारोबारी रो पड़े।

एफएसओ संजीव यादव ने बताया कि डेलापीर चौराहे के पास मिला हाईड्रेंट काम तो आया, पर गाड़ियों को बार-बार बाहर का चक्कर लगाना पड़ा। इस वजह से काफी समय बर्बाद हुआ। ऊपरी मंजिल पर आग बुझाने के लिए टीम ने पाइप के साथ ही विशेष बाइक व छोटी गाड़ी की मदद ली। इस दौरान जब ऊपर की आग बुझनी शुरू होती थी तो नीचे भड़क जाती थी।

 

फट गए दुकानों के लिंटर

आग बुझाने के दौरान अग्निशमन कर्मियों को कई बार जान जोखिम में डालनी पड़ी। दरअसल, बार-बार हो रहे धमाकों के साथ ही आग भड़कती जा रही थी। पता लगा कि कभी मजदूरों के छोटे एलपीजी सिलिंडर फट रहे थे तो कभी दुकानों के लिंटर आग से चटक रहे थे। जब-जब आवाज होती थी, वहां मौजूद दुकानदार व अन्य लोग दहल जाते थे।

 

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