एजेंसी, नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को मध्य प्रदेश के महू में रण-संवाद 2025 कार्यक्रम में हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने बताया कि आने वाले समय में युद्ध कैसे लड़ा जाएगा। साथ ही रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि भारत कभी पहले आक्रमण नहीं करता लेकिन अगर चुनौती मिलती है तो उसका पूरी ताकत के साथ जवाब दिया जाएगा।
राजनाथ सिंह ने कहा, कार्यक्रम का शीर्षक, ‘रण संवाद’, मुझे बहुत दिलचस्प लगा। यह नाम ही चिंतन और मनन का विषय है। एक ओर ‘रण’ युद्ध और संघर्ष की कल्पना जगाता है तो दूसरी ओर ‘संवाद’ संवाद, चर्चा और सुलह की ओर इशारा करता है। पहली नजर में, ये दोनों शब्द विरोधाभासी लगते हैं। जहां युद्ध है, वहां संवाद कैसे हो सकता है और जहां संवाद हो रहा है, वहां युद्ध कैसे हो सकता है? लेकिन गहराई से देखें तो यही नाम हमारे समय की सबसे प्रासंगिक सच्चाइयों में से एक को अपने में समेटे हुए है।
रण-संवाद 2025 में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, रण-संवाद का भारत में एक ऐतिहासिक आधार भी है और यह मुझे हमारे इतिहास की कई घटनाओं की याद दिलाता है जो हमें दिखाती हैं कि कैसे सभ्यतागत युद्धों का अर्थ ‘रण’ और संवादों का अर्थ ‘संवाद’ होता है और भारत में ये दोनों आपस में गुंथे हुए थे। हमारी संस्कृति में, संवाद युद्ध से अलग नहीं है। यह युद्ध से पहले होता है। यह युद्ध के दौरान होता है और युद्ध के बाद भी जारी रहता है। उदाहरण के लिए, महाभारत को ही लें, युद्ध को रोकने के लिए, भगवान कृष्ण शांति के दूत के रूप में गए। वे संवाद करने गए ताकि युद्ध को टाला जा सके।
उन्होंने कहा, भविष्य के युद्ध केवल हथियारों की लड़ाई नहीं होंगे; वे प्रौद्योगिकी, खुफिया, अर्थव्यवस्था और कूटनीति का संयुक्त खेल होंगे। आने वाले समय में जो राष्ट्र प्रौद्योगिकी, रणनीति और अनुकूलनशीलता के त्रिकोण में निपुण होगा, वही सच्ची वैश्विक शक्ति के रूप में उभरेगा। सरल शब्दों में कहें तो यह इतिहास से सीखने और एक नया इतिहास लिखने का समय है।