ज्ञान प्रकाश
तहजीब और नजाकत की नगरी लखनऊ ने एक से बढ़ कर एक कलाकार और संगीतकार दिए है। इसी कड़ी को आगे बढ़ा रहे है गायक और संगीतकार दविंदर सिंह। इनकी राग एंड रिदम संस्था ने कई प्रतिभाशाली गायिकाओं को तैयार किया है। यूट्यूब पर इन गायिकाओं के साथ इनके यादगार युगल गीत लोगों के दिलों पर राज कर रहे है।
दविंदर सिंह को संगीत की बारीकी उनके गुरु मोहिंदर सिंह ने सिखाई थी जो खुद मशहूर संगीतकार हुस्नलाल भगतराम के शिष्य थे। दविंदर सिंह ने शुरू से ही संगीत को गंभीरता से लिया और सुगम संगीत की दुनिया के बादशाह बन गए है। मोहम्मद रफी, मुकेश, तलत महमूद के गीतों को दविंदर सिंह ने दिल की गहराइयों वाली आवाज देकर लाखों लोगों को अपना दीवाना बना रखा है। खुद दविंदर बताते…
दविंदर सिंह का कहना है वो बैक ग्राउंड म्यूजिक के आधार पर गाना नहीं गाते बल्कि जिस गीत को गाते है उसकी धुन वो खुद तैयार करते है। अपने गुरु दादा हुस्नलाल भगत राम की यादगार धुन में रचा गीत सुन मेरे साजना, देखो न मुझको भूल जाना इन्होंने आरुषि शुक्ला के साथ जिस अंदाज में गया वो मील का पत्थर साबित हो गया।
दुबई में बस चुकी मेघना माथुर के साथ इनके गीत ये दिल है मुश्किल जीना यहां में आपको गीता दत्त की झलक मिल जाएगी। कोरोना काल में मानसी मिश्रा के साथ गए गीत नींद न मुझको आए को सुनकर लगेगा कि हेमंत कुमार और लता मंगेशकर के गीत के साथ अन्याय नहीं किया गया है।
दविंदर सिंह के एकल गीतों को भी काफी पसंद किया जा रहा है। मुझे दर्द ए दिल का पता न था और दिल की आवाज भी सुन आदि गीतों को सुनकर लगेगा कि धुनों पर नियंत्रण किस काबिलियत के साथ है।
राशि श्रीवास्तव के साथ चांद जाने कहां खो गया, दीक्षा वर्मा के साथ ये दिल तुम बिन कहीं लगता नहीं, तस्वीर तेरी दिल में। जिस दिन से उतारी है काफी पसंद किए जा रहे है। दविंदर सिंह के एकल गीतों, भजन और गुरुवाणी भी काफी पसंद की जा रही है। राग एंड रिदम में सीखने वाले बच्चों को कड़े अनुशासन और लगन से अभ्यास करना पड़ता है। तभी इनके सिखाए युवा लखनऊ से बाहर प्रतिभा बिखेर रहे है।