न्यूज डेस्क– सुप्रीम कोर्ट ने असम सरकार को नोटिस जारी कर तीन हफ्ते में जवाब मांगा है। कोर्ट में 48 लोगों ने दस्तावेज पेश कर कहा था कि प्रशासन ने कोर्ट के आदेश पर बुलडोजर को शामिल किया है। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने बुल्डोजर एक्शन पर रोक लगा रखी है, बावजूद उसके बुल्डोजर चलाया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने 1 अक्टूबर तक बुलडोजर की कार्रवाई पर रोक लगाने का आदेश दिया था। उसके बावजूद असम के सोनापुर में हो रहे अवैध निर्माण के नाम पर बुल्डोजर कार्रवाई की गयी। प्रशासन की यह कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना मानी जा रही है। कोर्ट ने हिमंत बिस्वा सरमा सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। जवाब दाख़िल करने के लिए सरकार को बड़ी मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है। क्योंकि कोर्ट में 48 लोगों ने दस्तावेज पेश कर कहा था कि प्रशासन ने कोर्ट के आदेश पर बुलडोजर को शामिल किया है।
सोमवार को मामले की सुनवाई जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केविन विश्वनाथन की बेंच के समक्ष मामले में याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील अदील अहमद ने कहा कि अवैध निर्माण को लेकर पहले कोई नोटिस नहीं दिया गया। लोगों को अचानक पता चला कि उनके घर के अवैध निर्माण के बारे में जानकारी है। लोगों का कहना है कि उनके पास इस जमीन की पावर ऑफ अटॉर्नी है। इसलिए उनका ज़मीन किसी भी तरह से अवैध नहीं है। और सरकार को नोटिस का जवाब देने के लिए तीन हफ्तों का समय दिया है।