मेरठ– प्राथमिक विधालय में तैनात एक अध्यापिका ने अपने कार्यकाल में इतनी छुटटी ले लीं कि लीव पॉलिसी की भी धज्जियां उड़ा दीं। इस दौरान वे पूरी सैलरी भी लेती रहीं। जिसके बाद BSA (बेसिक शिक्षा अधिकारी) ने मामले को लेकर जांच बैठायी। जांच में आरोप सही पाये जाने पर अध्यापिका को सस्पेंड कर दिया।

परीक्षितगढ़ क्षेत्र के सीना गांव में स्थित प्राथमिक विधालय में सुजाता यादव सहायक अध्यापिका के पद पर तैनात हैं। इस दौरान वह लंबे समय तक गैर हाजिर रही। 7 सालों के 2920 दिनों में वह सिर्फ 759 दिन ही उपस्थित रही। यानि 2161 दिन वह विधालय में अनुपस्थित रहीं और बगैर किसी कटौती के पूरी तनख्वाह पाती रही।

तत्कालिन प्रधानाध्यापक भी हर बार सुजाता के अवकाश को मंजूरी देकर फर्जी तरीके से उसकी हाजरी लगा देता था। मीडिया में मामला आने के बाद जांच बैठी तो आरोप सही पाये गये, जिसके बाद मामले पर संज्ञान लेते हुए सुजाता यादव और प्रधानाध्यापक को सस्पेंड कर घर बैठा दिया। इन्ही की वजह से ही सुजाता यादव की फेक उपस्थिति दिखाकर पूरी तनख्वाह भी दिलाई गयी।

वर्ष 2014 में सुजाता एक दिन भी विधालय नहीं आयी। प्रधानाध्यापक धर्म सिंह ने छह  बार बाल्य देखभाल अवकाश स्वीकृती दी थी। 2015 में केवल 27 दिन, 2016 में 131 दिन, 2017 में केवल 43 दिन उपस्थित रहीं जबकि अगस्त 2018 से 9 जनवरी 2020 तक वह सस्पेंड रही। उसके बाद जब 10 जनवरी से वापस डयूटी पर उनकी बहाली हुई तो फिर उन्होंने अनुपस्थित रहना शुरू कर दिया। छुट्टी का  सिलसिला यहीं नहीं थमा  पूरे साल 2020 में वह कुल 148 दिन स्कूल में आयी। 2021 में 187 दिन, 2022 में 173 दिन और हद तो तब हो गयी जब बीते साल 2023 में केवल 50 दिन उपस्थित रहीं।

जांच में जब सुजाता के पूर्व कार्यस्थल बागपत का रिकॉर्ड खंगाला तो उसमें भी चौकाने वाला मामला निकलकर सामने आया इसमें 646 दिन चाइल्ड केयर लीव, 330 दिन मेटरनिटी लीव, 425 दिन हेल्थ लीव और 143 दिन अनपेड लीव ली थी।

बेसिक शिक्षा अधिकारी आशा चौधरी ने कार्रवाई करते हुए अध्यापिका सुजाता यादव व पूर्व  प्रधानाध्यापक धर्म सिंह को सस्पेंड कर दिया है।

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