मेरठ। मेरठ के मटोर के रहने वाले आरपीएफ सिपाही ने नकली सीबीआई कर्मी बनकर वसूली की। जिसके बाद सिपाही सुनील यादव को सीबीआई ने गिरफ्तार करते हुए जेल भेज दिया। वह मूल रूप से मेरठ के मटोर का रहने वाला है। आरोपी सिपाही फिलहाल रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) की पहली बटालियन असम में तैनात है। आरोप है कि सुनील ने मुजफ्फरनगर के व्यवसायी प्रवीण जैन से फर्जी मुकदमे के नाम पर पैसे वसूल किए।
मिली जानकारी के अनुसार सीबीआई को जानकारी मिली थी कि बीते 30 दिसंबर को सुनील यादव मुजफ्फरनगर के थाना नया मंडी पहुंचा। उसने खुद की सीबीआई मुख्यालय में तैनाती का हवाला देते हुए मुजफ्फरनगर के संगम विहार में रहने वाले व्यवसायी प्रवीण जैन को नोटिस तामील कराने के लिए लोकल पुलिस का सहयोग मांगा। थाने से सिपाही लोकेंद्र को सुनील के साथ भेजा गया।
सुनील ने प्रवीण को बताया कि उसके खिलाफ सीबीआई में मुकदमा दर्ज हुआ है। जांच के लिए उसे दिल्ली मुख्यालय में पेश होना पड़ेगा। हालाकि सिपाही ने नोटिस की कॉपी प्रवीण को नहीं दी। साथ ही सुनील ने प्रवीण को धमकाया कि उसका फारूक के साथ जो जमीन का विवाद चल रहा है उसमें समझौता कर ले। उसने प्रवीण से सीबीआई में चल रहे मामले में राहत दिलाने के बदले पैसे की मांग भी की। बताया जा रहा है सुनील 26 सितंबर 2022 से 7 मार्च 2023 तक सीबीआई मुख्यालय में प्रतिनियुक्ति पर आया था। उसे कर्मचारी कोड के तौर पर 174572 नंबर आवंटित किया गया था। उसे समय से पहले ही आरपीएफ में वापस भेज दिया गया था। उसने सीबीआई द्वारा आवंटित किए गए कोड से नकली आईडी बनवा ली थी। 8 जनवरी को सिपाही लोकेंद्र को सुनील ने फोन कर बताया कि प्रवीण जैन से कुछ पैसे मिले हैं अगर वह कहे तो उसे पैसे ट्रांसफर कर सकता है। लोकेंद्र ने पैसे लेने से इंकार कर दिया।
इस पूरे मामले की प्रारंभिक जांच के बाद सीबीआई के इंस्पेक्टर यशोवर्धन वर्मा की तहरीर पर सुनील व अज्ञात साथियों के खिलाफ सीबीआई की स्पेशल सेल-1 में मुकदमा दर्ज किया। सुनील के नई दिल्ली और मेरठ के ठिकानों पर तलाशी ली गई। तलाशी के दौरान सुनील के पास से सीबीआई का नकली पहचान पत्र और फर्जी दस्तावेज बरामद हुए। सुनील को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया।