ज्ञान प्रकाश, मेरठ। देश में एक बार फिर से भारतीय जनता पार्टी अपने सहयोगियों के दम पर गठबंधन की सरकार बनाने जा रही है। सरकार बनने से पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की काबिलियत पर उंगली उठनी शुरू हो गई है कि क्या सरकार चल पाएगी। अगर आंकड़ों की बात करें तो कांग्रेस 1984 के बाद कभी बहुमत हासिल नहीं कर पाई थी इसके बाद भी पहले नरसिम्हा राव और बाद में मनमोहन सिंह ने सफलता से सरकार चला कर दिखा दी थी। अब मोदी सरकार पर लोगों की निगाहें है क्या चंद्र बाबू नोएडा और नीतीश कुमार के दम पर सरकार लंबे समय तक चल पाएगी।
2014 और 2019 में बंपर बहुमत के साथ एनडीए ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार चलाई थी और कई ऐतिहासिक निर्णय भी लिए थे। इसमें अयोध्या मंदिर, कश्मीर से 370 हटाने जैसे नामुमकिन निर्णय भी थे। अब वक्त बदल गया है। इस बार भाजपा को बहुमत नहीं मिला और उसे 340 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा है। ऐसे में उसके लिए टीडीपी के चंद्र बाबू नायडू और जद यू के नीतीश कुमार खेवनहार बन कर सामने आए है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि चंद्र बाबू नायडू और नीतीश कुमार भरोसेमंद नहीं है और अपनी बात पूरी न होने पर कभी भी पासा पलट सकते है। ये तस्वीर का दूसरा पहलू है अगर गठबंधन की बात करें तो 1984 में जब पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस को 404 का जबरदस्त बहुमत मिला था और राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने थे इसके बाद से कांग्रेस कभी भी लोकसभा में 245 का आंकड़ा पार नही कर पाई थी।1989 के चुनाव में कांग्रेस को 197 सीट मिली थी और विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार बनी थी।1991 के चुनाव में कांग्रेस को 244 सीटें मिली थी और पी वी नरसिम्हा राव के नेतृत्व में गठबंधन की सरकार बनी थी।2004 के चुनाव में कांग्रेस को 145 सीट मिली थी। 2009 के चुनाव में 206 सीट मिली थी। कांग्रेस ने यूपीए के जरिये 2004 और 2009 में केन्द्र सरकार चलाई थी। इस सरकार में गठबंधन के हर सदस्य को मंत्रालय मिला था। अब सवाल उठ रहा है कि नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में बनने वाली सरकार में भले ही टीडीपी और जदयू महत्वपूर्ण मंत्रालय को लेकर सौदेबाजी करे लेकिन कोई भी पार्टी नहीं चाहेगी कि सरकार गिरे और पब्लिक के बीच जाकर फिर से वोट मांगना पड़े। भाजपा को भले ही 240 सीटें मिली हो लेकिन उसने इंडिया गठबंधन को मिली कुल सीटों से ज्यादा सीटें हासिल की है, यह पार्टी को मनोवैज्ञानिक रुप से लाभ पहुंचाया है। जिस तरह से कांग्रेस के राहुल गांधी भाजपा को मिली सीटों को लेकर मजाक उड़ा रहे हैं उनको कांग्रेस के चालीस साल के इतिहास को भी देखना चाहिये कि भाजपा को मिली सीटें उनके द्वारा हासिल की गई सीटों से ज्यादा मिली है। वहीं इंडिया गठबंधन इस फिराक में है कि एनडीए में किसी तरह से फूट पड़ जाए और उनको सरकार बनाने का मौका मिले जो फिलहाल सपनों जैसा लग रहा है।