शारदा रिपोर्टर हस्तिनापुर। वाह रे हस्तिनापुर तेरा दुर्भाग्य, जो एक संपूर्ण देश की राजधानी कहलाती थी, वह आज अपने नाम के लिए तरस रहा है। ऐसे ही नेहरू पार्क की पहचान खत्म होती जा रही है। हस्तिनापुर के नेहरू पार्क की स्थापना पंडित जवाहरलाल नेहरू जी ने की थी। लेकिन, आज वही नेहरू पार्क अपने नाम के लिए तरस रहा है। अब तक भी इस पार्क के बोर्ड पर नाम नहीं लिखा गया है।
स्थापना दिवस पर भी किसी को नेहरू पार्क के नाम की याद नहीं आई और ना ही इस पर ध्यान दिया। प्रतिवर्ष गणतंत्र दिवस व स्वतंत्रता दिवस पर नेहरू पार्क में झंडा रोहण किया जाता है। लेकिन आज तक बोर्ड पर नाम ही नहीं लिखा गया।
महाभारतकालीन ऐतिहासिक नगरी पौराणिक काल में अखंड भारत की राजधानी होती थी। परंतु कालचक्र के साथ समय बदलता गया और हस्तिनापुर एक वीरान नगरी हो गई। आज भी पांडव टीला, पांडेश्वर मंदिर, कर्ण मंदिर, द्रोपदी घाट आदि पौराणिक काल की धरोहर हैं। हस्तिनापुर नगरी को दोबारा से बसाकर विकसित करने के लिए प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने 6 फरवरी 1949 को हस्तिनापुर की नींव रखी, जिस स्थान पर नींव रखी गई थी, उस स्थान को नेहरू पार्क के नाम से जाना जाता है।
जहां गणतंत्र दिवस व स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर जब यहां कार्यक्रम आयोजित होते हैं, तो यहां लोग इकट्ठा होकर स्थापना दिवस मनाते हैं। लेकिन आज तक नेहरू पार्क पार्क का नाम लिखवाना उचित नहीं समझा। अब इसे द्रोपदी का श्राप कहें या हस्तिनापुर के लोगों की उदासीनता? लेकिन नगर पंचायत या किसी सामाजिक संगठन या जनप्रतिनिधि ने कभी इस ओर ध्यान नहीं दिया।