Meerut News: महानगर की जनता को बेवकूफ बना रहे हैं निगम के अधिकारी, कार्यकारिणी बैठक में फूटा पार्षदों का गुस्सा

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  • हाऊस टैक्स और कूड़ा निस्तारण को लेकर नगर निगम कार्यकारिणी बैठक में फूटा पार्षदों का गुस्सा।

शारदा रिपोर्टर मेरठ। गृहकर, स्ट्रीट लाइट, होर्डिंग ठेका सहित कई मामलों को लेकर निगम के 90 पार्षदों में आक्रोशित नजर आए। इस दौरान पार्षदों ने नगर निगम अधिकारियों पर काम नहीं करने का आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा किया। पार्षदों ने मेयर हरिकांत अहलूवालिया से बोर्ड बैठक में आजादी देने की बात कही। बैठक के दौरान पार्षदों ने अपने क्षेत्र की समस्या उठाने का एजेंडा तैयार कर निगम अधिकारियों से जवाब मांगा। लेकिन पार्षदों के सवालों के जवाब देने के बजाय अधिकारी बगले झांकते नजर आए।

चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी स्थित अटल सभागार में सोमवार को नगर निगम की बोर्ड बैठक हुई। जिसमें महापौर हरिकांत अहलूवालिया, नगर आयुक्त अमित पाल शर्मा, अपर नगर आयुक्त प्रमोद कुमार, के अलावा नगर निगम के विभिन्न विभागों के अधिकारी और निगम पार्षद मौजूद रहे। बैठक में महानगर में नए गृहकर, स्ट्रीट लाइट, जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र, होर्डिंग ठेका, कंप्यूटर आॅपरेटर और जलकर में भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर निगम पार्षदों ने अधिकारियों से सवाल जवाब किया।

हालांकि, पूर्व में हुई बैठक को देखते हुए पार्षदों ने पहले ही इसकी पूरी रणनीति बना ली थी। सफाई व्यवस्था से लेकर शहर के विकास कार्यों में निगम की लापरवाही को लेकर पार्षदों ने सवाल किया। लेकिन, पार्षदों के अधिकांश सवालों के जवाब निगम अधिकारी नहीं दे पाए। इस दौरान गृहकर, स्ट्रीट लाइट और जलकर विभाग की समस्याओं की समीक्षा की गई। बैठक में निगम अधिकारियों ने कई पार्षदों को रुके हुए कार्यों को जल्द पूरा करने का आश्वासन भी दिया।

पार्षदों ने निगम अधिकारियों को घेरा: बैठक के दौरान पार्षद राजीव काले, संदीप गोयल, अनुज वशिष्ठ आदि ने आरोप लगाते हुए कहा कि, निगम अधिकारियों ने जीआईएस सर्वे के नाम पर लूट मचा रखी है। जिससे साफ पता चलता है कि निगम अधिकारी भाजपा सरकार को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं। इस पर सभी भाजपा पार्षद एकमत हुए और गुस्साए पार्षदों ने साफ कहा कि, किसी भी हालत में दलाली बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

उन्होंने कहा कि मंगत पुरम के बाद गांवड़ी गांव में गिरने वाले कूड़े का समाधान आजतक नहीं हुआ। उन्होंने बताया कि, कंपनी ने बिना पैसे के प्लांट लगाने और कूड़ा निस्तारण की बात कही थी। लेकिन, कंपनी से अनुबंध में गिले कूड़े का निस्तारण क्यों नहीं किया गया। जबकि, अगर गीले कूड़े से बीमारियों का खतरा ज्यादा होगा। उन्होंने बताया कि शहर में रोजाना 13 सौ टन कूड़ा एकत्र होता है। जबकि, कैंट बोर्ड का काफी हिस्सा भी शहर में शामिल होने वाला है। पार्षदों का आरोप लगाते हुए बताया कि, अधिकारियों की अंदेखी से नगर निगम पर एनजीटी ने लाखों रुपए का जुमार्ना लगा दिया। वो पैसा आखिर कहां से आएगा। आखिर कूड़ा गाड़ी को ढ़ंककर क्यों नहीं ले जाया जाता। जबकि, कूड़े और गंदगी से कैंसर, दमा और अन्य गंभीर बीमारियां फैल रही है।

बिना गाड़ी चले कैसे हो रहा कूड़ा निस्तारण

भाजपा पार्षद अनुज वशिष्ठ ने आरोप लगाते हुए कहा कि कूड़ा निस्तारण कैसे किया जाएगा। जबकि, कूड़े का निस्तारण की गाड़ी चलती ही नहीं। बताया कि, गांवड़ी में ढ़ाई किलोमीटर दूर तक कूड़ा फैले चुका है। जबकि, स्थानीय लोग गंदगी और कूड़े के ढेर से परेशान हैं। इस सवाल पर अपर नगर आयुक्त प्रमोद कुमार ने कहा कि, एनजीटी से पत्राचार किया जा रहा है। जल्द ही समस्या का समाधान निकाला जाएगा।

निगम की बोर्ड बैठक में पार्षदों को बोलने का पूरा मौका दिया गया। हालांकि, नगर निगम के अधिकारी कई सवालों का जवाब नहीं दे पाए। लेकिन, बैठक शांतिपूर्वक तरीके से हुई। फिलहाल जीआईएस सर्वे पर रोक लगा दी गई है। जल्द ही कूड़ा निस्तारण प्लांट पर भी काम किया जाएगा। – हरिकांत अहलूवालिया, महापौर

 

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