- शहर में कुल 90 हजार की आबादी है आवारा कुत्तों की।
- नसबंदी और एंटी रेबीज डोज महज 17 हजार को।
- पूरे जिले में आवारा कुत्तों के लिए केवल एक सैंटर।
- केवल 125 कुत्तों को रखने की क्षमता।
शारदा न्यूज, मेरठ। शहर के सूर्यापुरम इलाके में दो माह पहले 12 साल के बच्चे को आवारा कुत्ते ने काटा था। इसके बाद परिजनों ने बच्चे को टिटनेस का इंजेक्शन तो लगवा दिया लेकिन रेबीज का टीका नहीं लगवाया। कुछ दिन बाद कुत्ते की मौत हो गई जिसके बाद बच्चे की भी तबीयत खराब रहने लगी। दो माह बाद बच्चे ने भी तड़पतड़प कर दम तोड़ दिया। बच्चे की मौत के बाद पूरा परिवार सदमे में है। वहीं नगर निगम आवारा कुत्तों की देखभाल के दावे करता है जो हवा-हवाई साबित हो रहे हैं।
– नगर निगम नहीं लगा पा रहा आवारा कुत्तों की बढ़ती आबादी पर लगाम
शहरी क्षेत्र की करीब 27 लाख आबादी नगर निगम के 90 वार्डो में रहती है। इस आबादी को तमाम सुविधाएं देने के निगम दावे करता है। इनमें से सबसे बड़ी सुविधा की बात की जाए जो सड़कों पर घूमने वाले आवारा कुत्तों से बचाव की है उसको लेकर निगम नाकारा साबित हो रहा है। इस समय शहरी क्षेत्र में ही आवारा कुत्तों की आबादी 90 हजार के लगभग जा पहुंची है।
– निगम मात्र 17 हजार कुत्तों को ही दे सका एंटी रेबीज डोज
नगर निगम अभीतक महज 17 हजार कुत्तों की ही नसबंदी करने के बाद उन्हें एंटी रेबीज वैक्सीन दे सका है जो ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। निगम के मुताबिक ही यह आंकड़ा सामने आया है जो कुल आवारा कुत्तों की आबादी का एक चौथाई से भी कम है। ऐसे में आम जनता को किस तरह आवारा कुत्तों से सुरक्षा मिलेगी यह बड़ा सवाल उठने लगा है।
– निगम के पास केवल एक सैंटर
नगर निगम के पास शंकर नगर परतापुर में केवल एक डॉग सैंटर है। इसकी क्षमता केवल 125 कुत्तों को रखने की है। यहां पकड़कर लाए गए आवारा कुत्तों को चार दिन रखने के बाद उसी जगह वापस छोड़ना पड़ता है जहां से इन्हें लाया जाता है। इन चार दिनों में कुत्तों की नसबंदी की जाती है और इसी बीच एंटी रेबीज वैक्सीन दी जाती है।
– छह माह में तैयार होगा नया सेंटर
नगर निगम को शासन से आवारा कुत्तों की देखभाल करने के लिए एक और नया सेंटर खोलने की जमीन पुराने कमेले के पास उपलब्ध करा दी गई है। इसके साथ ही नए सेंटर के निर्माण का बजट भी जल्द स्वीकृत होने वाला है। बताया जा रहा है आगमी मई तक सेंटर तैयार हो जाएगा।
– कुत्ते के काटने पर न करे लापरवाही
शहर में रोजाना दो से ढाई सौ लोग कुत्तों के काटने का शिकार हो रहे है। लेकिन केवल जिला अस्पताल में ही एंटी रेबीज वैक्सीन देने की व्यवस्था है। इसके साथ ही निजी डाक्टरों के यहां भी एंटी रेबीज वैक्सीन दी जाती है जिसकी कीमत एक से डेढ़ हजार के बीच है। ऐसे में जिला अस्पताल में मुफ्त में वेक्सीन लेने के लिए लंबी कतार लगती है। कुत्ते के काटने के बाद लापरवाही नहीं करनी चाहिए। जिस कुत्ते ने काटा है उसकी दो माह तक निगरानी करना जरूरी है। कुत्ते के काटने के 20 दिनों के भीतर एंटी रेबीज की तीनों डोज लगना जरूरी है।
नगर निगम की मजबूरी है क्योंकि हमारे पास केवल एक ही सेंटर है जिसमें कुत्तों को रखकर उनकी नसबंदी की जाती है। इसकी क्षमता केवल 125 कुत्ते रखने की है। हालांकि नये सेंटर के लिए जमीन मिल गई है लेकिन इसे तैयार होने में अभी छह माह का समय लगेगा। – डा. हरपाल सैनी, पशुधन एंव कल्याण अधिकारी, नगर निगम मेरठ।