Tuesday, August 5, 2025
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करोड़ों की लागत से बने बस स्टॉप बन गए पार्किंग स्थल

  • अधिकारियों की लापरवाही का दंश झेल रहा सरकारी खजाना, जर्जर हो रहे बसों के शेल्टर शेड।

शारदा रिपोर्टर मेरठ। शहर के अधिकांश इलाकों में जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन यानी (जेएनएनयूआरएम) के तहत रोडवेज सिटी बसों के शेल्टर लाखों रुपए की लागत से बनाए गए थे। मेरठ विकास प्राधिकरण (मेडा) ने आठ करोड़ रुपये से शेल्टरों का कायाकल्प किया। लेकिन, लोगों ने इन्हें भी नहीं छोड़ा। लाखों रुपए की लागत से बनाए गए बस स्टॉप के आगे लोगों ने अपनी गाड़ियां खड़ी कर दी। जिसके चलते अब बस का इंतजार कर रहे राहगीरों को सड़कों पर ही खड़ा होना पड़ रहा है।

 

 

दरअसल, किसी ने सोचा भी नहीं था कि, शहर में यूरोपियन शैली के ये शेल्टर लगाए जाएंगे। जो बेहद आकर्षक लगेंगे। इन स्टॉपेज पर बेंच और छत की भी आधुनिक सुविधाएं होगी। इन बस स्टॉप को शहर में लगवाने के लिए बाकायदा इसके लिए टेंडर की प्रक्रिया पूरी हुई। सितंबर महीने में यह काम पूरा कर लिया गया।

बता दें कि, मेरठ सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लिमिटे(एमसीएसएल) की ओर से बस स्टॉपेज के सौंदर्यीकरण की मांग की गई थी। मेडा ने इसे स्वीकार करते हुए तीन करोड़ रुपये से दस बस अड्डों की सूरत बदलने पर स्वीकृति दी। मेडा उपाध्यक्ष संजय मीणा ने बताया कि एमसीटीएसएल में मेडा की 33 फीसदी हिस्सेदारी है। इससे पहले तत्कालीन कमिश्नर सेल्वा कुमारी जे. की अध्यक्षता में 27 दिसंबर को हुई एमसीटीएसएल की बैठक में दिशा-निर्देश दिए गए थे। अप-डाउन 20 स्थलों पर अवस्थापना निधि के तहत शेल्टर बनाने का प्रस्ताव रखा गया। इस पर करीब आठ करोड़ रुपये खर्च किए गए।

जिसके चलते इन बस स्टॉप्स का निर्माण मेडिकल कॉलेज, तेजगढ़ी चौराहा, पीवीएस मॉल, आंबेडकर डिग्री कॉलेज/सीसीएस यूनिवर्सिटी, नई सड़क, सोहराब गेट, हापुड़ अड्डा, ईव्ज चौराहा, बच्चा पार्क और बेगमपुल/लालकुर्ती चौराहे का निर्माण किया गया। लेकिन, करोड़ों रुपए की लागत से बनाए गए अब इन बस स्टॉप के आगे लोगों ने गाड़ियों की पार्किंग कर दी है। जिसके चलते राहगीरों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

आंखों देखी पर भी कार्रवाई नहीं कर रहे अधिकारी

शहर में तमाम अधिकारी लगातार भ्रमण करते रहते हैं। लेकिन इस तरफ देखकर भी अधिकारी कोई कार्रवाई नहीं करते नजर आते हैं। यही कारण है कि स्मार्ट सिटी के दावों पर मेरठ शहर खरा नहीं उतर रहा है। तमाम बस शेल्टर तो ऐसे हैं, जिनकी कुर्सियां तक लोग उखाड़कर ले गए हैं। तो कई ऐसे हैं, जिनमें रेहडी पटरी वालों ने अपने व्यापार जमा लिए हैं। लेकिन कोई कार्रवाई अभी तक होती नजर नहीं आई है।

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