– धुंए से प्रदूषण न बढ़े इसलिए करे सीमित प्रयोग।
शारदा रिपोर्टर मेरठ। जैसे जैसे दिसंबर नजदीक आ रहा है ठंड का असर भी दिखाई देना शुरू हो गया है। दिन में जहां लोग जैकेट, स्वेटर पहने नजर आते है तो सुबह शाम जगह जगह अलाव भी जलने लगे हैं। लेकिन इन अलाव से उठने वाला धुआं शहर की हवा को और जहरीला बना रहा है। इसी को लेकर मेरठ के उटड ने लोगों को सावधानी बरतने की अपील की है।
उन्होंने कहा कि अलाव जलाकर ठंड से बचना जरूरत है, लेकिन इसका इस्तेमाल सीमित समय के लिए ही किया जाए, ताकि अनावश्यक धुआं वातावरण में न फैले। सीएमओ ने कहा कि कि खुले स्थानों, गलियों, चौक-चौराहों और घरों के आंगन में जलाए जा रहे अलाव हवा की शुद्वता पर सीधा असर डालते हैं। इससे निकलने वाला धुआं न सिर्फ प्रदूषण बढ़ाता है, बल्कि सांस के मरीजों, बुजुर्गों और बच्चों के लिए भी बेहद हानिकारक है। ऐसे में लगातार धुएं के संपर्क में आने से खांसी, सांस फूलना, एलर्जी और अस्थमा मरीज बढ़ने की संभावना ज्यादा हो जाती है।
डॉ अशोक कटारिया ने अपील करते हुए कहा कि अलाव में किसी भी प्रकार का प्लास्टिक, रबर, कपड़ा, पॉलिथीन या केमिकल युक्त सामान न जलाएं, क्योंकि इससे अत्यधिक जहरीला धुआं निकलता है, जो स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है। इसके बजाय सूखी लकड़ी या स्वच्छ सामग्री का सीमित उपयोग करें, जिससे कम धुआं उठे और गर्माहट भी मिल सके।
जिन स्थानों पर अलाव जलाना आवश्यक हो, वहां इसे नियंत्रित तरीके से जलाया जाए। सामुदायिक अलाव से व्यक्तिगत अलाव की तुलना में प्रदूषण कम होता है। साथ ही लोगों को गर्म कपड़े पहनने, शरीर को ढककर रखने और घरों में सुरक्षित हीटिंग उपाय अपनाने की सलाह दी गई है।



