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Tuesday, December 23, 2025
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बिहार का चुनावी रूझान, यूपी की राह करेगा आसान

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– 2027 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के सामने भाजपा नजर आ रही मजबूत।

अनुज मित्तल, मेरठ। बिहार विधानसभा चुनाव शुरू होने से पहले एनडीए और महागठबंधन को लेकर जो कयास लगाए जा रहे थे, वह शुक्रवार को चुनाव परिणाम आते-आते पूरी तरह बदल गए। चुनाव शुरू होने से पहले इस बार दोनों गठबंधनों के बीच कड़ी टक्कर नजर आ रही थी। लेकिन जिस तरह बिहार का परिणाम आया, उससे साफ हो गया कि आने वाले समय में भाजपा बदली हुई रणनीति के तहत यूपी में भी चौंकाने का काम कर सकती है।

 

Bihar's election trend will make the path to UP easier

 

बिहार में कांग्रेस की दुर्गति के बाद यूपी में अब कांग्रेस के लिए पैर जमाना असंभव नहीं हो बेहद मुश्किल नजर आ रहा है। क्योंकि कांग्रेस पहले ही लगातार यूपी में सिमटती जा रही है, अब जो स्थिति सामने आ रही है, उससे कांग्रेस को लेकर इंडिया गठबंधन में शामिल दूसरे दल भी उसकी मौजूदगी को लेकर सवाल उठा सकते हैं।

बिहार में जैसे आरजेडी के सामने कांग्रेस नतमस्तक नजर आयी है। वैसे ही यूपी में सपा के सामने कांग्रेस की स्थिति होना तय है। हालांकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कांग्रेस नेता अभी से ही सपा पर हमलावर हो रहे हैं और 2027 विधानसभा चुनाव अपने दम पर लड़ने या गठबंधन में रहते हुए सम्मानजनक सीटें अपने खाते में लेने की मांग कर रहे हैं। लेकिन कांग्रेस की स्थिति को देखते हुए ऐसा नजर नहीं आ रहा है।

हालांकि, यूपी में बिहार से थोड़ा बदला हुआ माहौल है। यूपी में दलित वोट निर्णायक स्थिति में है और उस पर फिलहाल बसपा का दावा ही सबसे मजबूत है। यह बात अलग है कि अब आजाद समाज पार्टी भी दलित वोटों पर अपना दावा दर्शाने लगी है। लेकिन यदि इन दोनों दलों के बीच दलित वोट बंट जाता है, तो यह सपा-कांग्रेस से ज्यादा भाजपा के लिए मुफीद होगा। अब बात करें मुस्लिम वोटों की तो उसको लेकर सपा जरूर दावा ठोक रही है, लेकिन मुस्लिम वोट अकेले दम पर यूपी में तीस से पैंतीस सीट ही जिताने में सक्षम नजर आते हैं। बाकी सीटों पर वह निर्णायक होते हैं।

मुस्लिम वोटों की इसी स्थिति को देखते हुए बसपा के साथ ही कांग्रेस और आजाद समाज पार्टी की नजर भी सबसे ज्यादा मुस्लिम वोटों पर है। ऐसे में जब सभी दल मुस्लिम वोटों के धु्रवीकरण पर ध्यान देंगे तो उनके बंटवारे के चांस भी उतने ज्यादा होंगे। जिसका लाभ भी भाजपा को मिलेगा।
विकास और कानून व्यवस्था होगा दावा: भाजपा ने बिहार में विकास और कानून व्यवस्था का नारा देकर चुनावी नैया को पार लगाया है। यूपी में भी यही नारा लेकर भाजपा सामने आएगी। हालांकि यूपी में हिंदू-मुस्लिम फैक्टर भी रहेगा, लेकिन इसमें बंटवारा किसी वोट में ज्यादा होगा? इसको देखते हुए यूपी में भाजपा की राह इस बार 2022 से आसान नजर आ रही है।

वर्तमान विधायकों से मिल सकता है नुकसान

भाजपा का जो सबसे नकारात्मक पहलू इस समय नजर आ रहा है। उसके वर्तमान विधायक हैं। यूपी में करीब पचास विधायक ऐसे हैं, जिन्हें यदि भाजपा इस बार भी चुनाव मैदान में उतारती है तो नुकसान उठा सकती है। ऐसे में भाजपा को इस बार नये चेहरों को वरियता देना होगा। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ऐसे विधायकों की संख्या सबसे ज्यादा है।

ब्यूरोक्रेसी पर देना होगा ध्यान

यूपी की भाजपा सरकार में इस समय ब्यूरोक्रेसी ज्यादा हावी है। जिससे भाजपा कार्यकर्ताओं का मनोबल कहीं न कहीं टूटा हुआ है। ऐसे में चुनाव से पहले माहौल बनाने के लिए भाजपा को यूपी के सरकारी तंत्र पर ध्यान देना होगा। पुलिस-प्रशासन के रवैये से भाजपाई ही नहीं बल्कि आम जनता भी किसी न किसी स्तर पर परेशान नजर आती है। यह भी भाजपा के लिए नकारात्मक बन सकता है।

 

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