चालीस साल की अमृत वाणी का होगा प्रकाशन।
शारदा रिपोर्टर मेरठ। चालीस वर्षों के बाद भगवान श्री रजनीश की अमृतवाणी से जन्मे मौलिक साहित्य का प्रकाशन करने को लेकर मंगलवार को आयोजनकतार्ओं ने प्रेसवार्ता की। इस दौरान उन्होंने बताया कि, भगवान श्री रजनीश की अमृतवाणी से जन्मे मौलिक और सच्चे साहित्य का प्रकाशन 1989 के बाद से पूर्णत: बंद कर दिया गया।
उन्होंने कहा कि मतांध ईसाईयत और सीआईए की प्रतिनिधि ओआईएफ माइकल गैंग का रजनीशी साहित्य को आउट आॅफ प्रिन्ट करने का असली मकसद रजनीशी मूवमेंट को लगभग समाप्त करना है। जबकि, 1989 से ही भगवान श्री रजनीश को ‘चार अक्षरों वाले एक ब्रांड नाम से प्रसिद्ध किया गया और उनके मौलिक साहित्य में निरंतर बहुत से फेरबदल किए गये। जिसके चलते ब्रांड नाम के साथ भी सभी 478 प्रवचन श्रृंखलाओं में से लगभग 300 प्रवचनों का ही प्रकाशन हो सका है।
उन्होंने कहा कि इन 40 वर्षों (1985 से 2025) के फेरबदलों और साजिशों का पदार्फाश करने के उद्देश्य से अब 36 साल बाद रजनीशी साहित्य पुन: अपने मौलिक रूप में प्रकाशित किया जा रहा है। क्योंकि, 40 वर्षों में 478 प्रवचन श्रृंखलाओं का अनुवाद भी मौलिक हिन्दी एवं अंग्रेजी भाषा में नहीं हो सका है। लगभग 200 प्रवचनों का ही अनुवाद मूल भाषा (हिन्दी एवं अंग्रेजी) में हो सका है।
बताया कि यह सभी 478 प्रवचन श्रृंखलाएं, जिनमें हिन्दी की 221 प्रवचन श्रृंखलाओं एवं अंग्रेजी की 257 प्रवचन श्रृंखलाओं के पीडीएफ भगवान श्री रजनीश की अमृत वाणी से जन्मे सच्चे साहित्य के मौलिक संस्करण हैं। जिनमें से लगभग 100 प्रवचन एक बार भी प्रकाशित ही नहीं किए गए हैं। उनमें से भी 50 से अधिक प्रवचन श्रृंखलाएँ, इंटरव्यू आदि ऐसे हैं। जिनकी आॅडियो-वीडियो तक भी पब्लिक रीलीज नहीं हुई हैं।
कहा कि, भगवान श्री रजनीश की मौलिक दोनों भाषाओं में सभी 478 प्रवचन श्रृंखलाओं को पीडीएफ के साथ-साथ पुस्तकों के रूप में भी प्रकाशित किया जा रहा है। इसलिए अपनी स्पष्टता, भावदशा, अर्थदशा के अनुसार भगवान श्री रजनीश की अमृतवाणी से जन्मे सच्चे मौलिक साहित्य के पुन: प्रकाशन की प्राथमिक कार्य साधना से जुड़िए। रजनीशी आंदोलन पर आपकी अनुकंपा आवश्यक है।