- जिला अस्पताल में अव्यवस्थाओं का दौर जारी,
- ना एंबुलेंस और वार्ड ब्वाय, मरीजों की लगी है लाइन।
शारदा रिपोर्टर मेरठ। प्यारे लाल जिला अस्पताल में लगातार अवस्थाएं देखने को मिल रही है। कहीं मरीजों को इलाज नहीं मिल रहा है तो कहीं अपने मरीज का इलाज कराने के लिए तीमारदार खुद ही स्ट्रेचर को खिंचकर भटकते हुए नजर आ रहे हैं। इसके बाद भी इन समस्याओं पर अस्पताल प्रबंधन कोई ध्यान नहीं दे रहा है। अस्पताल परिसर की पाइपलाइन का पाइप तोड़कर चोरी करने से कभी अस्पताल के वार्डो में पानी बाधित हो जाता है, तो कभी ऐसी अनियमितता सामने आती हैं। लेकिन सबकुछ जानते हुए भी अस्पताल प्रबंधन आंखें मूंदे बैठा है।
जिला अस्पताल में मरीजों की संख्या तो बहुत ज्यादा है, लेकिन इनके इलाज के लिए सुविधाएं और डॉक्टर बेहद कम हैं। गंभीर बीमारियों का उपचार तक नहीं मिल पाता है। मरीज लाचार हैं। मजबूरी में उन्हें निजी अस्पताल में महंगा इलाज कराना पड़ता है।
जिला अस्पताल में हर साल ओपीडी में पांच से छह लाख मरीज आते हैं। यहां लंबे समय से मानकों से कम डॉक्टर हैं। डॉक्टरों के यहां 54 पद स्वीकृत हैं, जिनमें से 29 चिकित्सक ही कार्यरत हैं। 25 चिकित्सकों की कमी है। इनमें एक सर्जरी (शल्य), दो बेहोशी (निश्चेतक), दो रेडियोलॉजिस्ट, दो अस्थि रोग विशेषज्ञ, दो टीबी एवं चेस्ट रोग विशेषज्ञ, एक-एक नाक-कान गला रोग (ईएनटी), दंत रोग विशेषज्ञ, यूरोलोजिस्ट, न्यूरो सर्जन, न्यूरो फिजिशियन, हृदय रोग, नेफ्रोलॉजिस्ट (किडनी रोग विशेषज्ञ), ब्लड बैंक व आईसीयू के लिए 9 चिकित्साधिकारियों के पद रिक्त चल रहे हैं।
गंभीर रूप से बीमार मरीजों के लिए शासन से अनुमति मिलने के बाद मेरठ के प्यारे लाल जिला अस्पताल में कई एंबुलेंस की व्यवस्था की गई थी। ताकि यह एंबुलेंस समय पर मरीजों को इलाज मुहैया कराने के लिए जिला अस्पताल में पहुंचाएं।
लेकिन, अफसोस की बात यह है कि, करोड़ों रुपए की यह एंबुलेंस अब अस्पताल परिसर में खस्ताहाल स्थिति में है। ना तो उनकी मेंटनेंस के लिए अस्पताल प्रबंधन ने शासन को पत्राचार किया और ना ही रखरखाव के लिए। जिसके चलते शहरवासियों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि, इस बाबत प्यारे लाल जिला अस्पताल प्रबंधन कुछ भी बताने के लिए तैयार नहीं है।