सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय में मृदा परीक्षण की नहीं है सुविधा, हस्तिनापुर या मेरठ में है मृदा परीक्षण लैब।
शारदा रिपोर्टर
मेरठ। फसल को रोगों से बचाने व अच्छे उत्पादन के लिए मृदा परीक्षण जरुरी है, लेकिन जिले के सबसे बड़े संस्थान सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि विवि में स्थापना के दो दशक बाद भी मृदा परीक्षण लैब की स्थापना नहीं हो सकी। मृदा परीक्षण लैब कृषि विवि में न होने के कारण लावड़, दौराला, सरधना व सकौती के अधिकांश किसान मृदा परीक्षण नहीं करा पाते, जिस कारण उनकी फसलों में रोग लग रहे है और लगातार उत्पादन घट रहा है।
वर्ष 2000 में सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि विवि की मोदीपुरम में स्थापना की गई थी और 2002 में इसका शुभारंभ किया गया था। इन 24 सालों में कृषि विवि में तमाम कॉलेज, लैब, शोध केंद्र की स्थापना की गई और साथ ही नई नई तकनीक व फसलों के बीजों की नई प्रजातियों को विकसित किया गया। परंतु, खेती के लिए सबसे जरुरी मृदा परीक्षण को लेकर दो दशकों से अधिक बीत जाने के बाद भी लैब नहीं बनाई गई, जिस कारण किसानों को हस्तिनापुर स्थित कृषि विज्ञान केंर्द्र या कृषि विभाग के मेरठ स्थित कार्यालय पर मृदा परीक्षण के लिए जाना पड़ता है। समय और खर्च बढ़ जाने के कारण अधिकांश किसान मृदा परीक्षण से दूरी बना रहे है।
सरकार मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना लागू कर किसानों को मृदा परीक्षण के प्रति जागरूक कर रही है, लेकिन यहां के किसान इतने बड़े संस्थान में मृदा परीक्षण लैब न होने के कारण खेत की मृदा का परीक्षण नहीं करा पा रहे है। कृषि विवि के अधीन हस्तिनापुर स्थित स्वामी कल्याण देव कृषि विज्ञान केंद्र में मृदा परीक्षण लैब है, लेकिन कृषि विवि से इसकी दूरी लगभग 30 से 35 किमी है, जिस कारण कृषि विवि के आस पास के गांव व कस्बे के किसान दूरी अधिक होने के कारण मृदा परीक्षण नहीं करा पाते।
सरकार से नहीं हुआ बजट स्वीकृत: कृषि विश्व विद्यालय की तरफ से लगातार मृदा
परीक्षण लैब की स्थापना की मांग सरकार से की जा चुकी है। लेकिन अभी तक सरकार की तरफ से इस ओर कोई बजट स्वीकृत नहीं हुआ है। जिस कारण किसानों को भी परेशानी उठानी पड़ती है। यह हाल तब है जब इस विश्व विद्यालय में कृषि मंत्री से लेकर राज्यपाल हर साल आते हैं। लेकिन इस तरफ किसी ने ध्यान नहीं दिया है।
मिट्टी की जांच कराने से लाभ
मिट्टी जांच से पता चलता है कि खेत में कौन सी फसल की खेती कर अच्छा उत्पादन लिया जा सकता है। मिट्टी जांच की मदद से पता चलता है कि भूमि में प्राथमिक व सूक्ष्म पोषक तत्वों में किस पोषक तत्व की अधिकता या कमी है। साथ ही जांच में भूमि के अम्लीय और क्षारीय गुणों की जांच की जाती है।