– बिजनौर सीट पर चुनाव लड़ने वालों के अरमानों पर फिरा पानी
– मुजफ्फरनगर में भी भाजपा नई रणनीति के तहत बदल सकती है प्रत्याशी
अनुज मित्तल (समाचार संपादक)
मेरठ। रालोद के भाजपा के साथ आने से पश्चिम की तीन सीटों पर भाजपा नेताओं में मायूसी के साथ बेचैनी हो रही है। क्योंकि रालोद टिकट वितरण में भी भाजपा के साथ सेटिंग करने की तैयारी कर रही है। जिससे वर्तमान सांसदों के साथ ही टिकट के दावेदार बेचैन है।
भाजपा ने रालोद को फिलहाल बागपत और बिजनौर सीट देने की बात कही है। तो ऐसे में तय है कि बागपत से वर्तमान सांसद डा. सतपाल सिंह को इस बार चुनाव लड़ने का मौका नहीं मिलेगा। लेकिन सबसे ज्यादा हलचल बिजनौर में है। क्योंकि बिजनौर सीट पर भाजपा के पश्चिमी क्षेत्र के पूर्व अध्यक्ष मोहित बेनीवाल जहां पूरा जोर लगाए हुए थे, तो सदर विधायक के पति मौसम चौधरी भी टिकट की तगड़ी दावेदारी कर रहे थे। इनके बीच पूर्व सांसद कुंवर भारतेंद्र सिंह की दावेदारी इस बार भी मजबूत थी। लेकिन अब यह सीट रालोद के खाते में चली गई है।
बिजनौर-हस्तिनापुर सीट पर गुर्जर बिरादरी का ज्यादा प्रभुत्व है। 2009 में भी रालोद ने भाजपा से गठबंधन करके इस सीट पर गुर्जर बिरादरी के संजय चौहान को चुनाव लड़ाया था और वह निर्वाचित हुए थे। हालांकि 2014 मोदी लहर के बीच यहां से भाजपा के कुंवर भारतेंद्र सिंह सांसद निर्वाचित हुए थे। लेकिन 2019 में इस सीट पर बसपा के मलूक नागर जीते।
सूत्रों की मानें तो रालोद इस बार भी यहां से गुर्जर बिरादरी को अपने साथ जोड़ने के लिए गुर्जर प्रत्याशी को ही मैदान में उतारने की तैयारी में है। ऐसे में पहला नाम रालोद के मीरापुर विधायक चंदन सिंह चौहान का है। जो पूर्व सांसद संजय चौहान के पुत्र हैं। हालांकि यह भी चर्चा है कि वर्तमान माहौल को देखते हुए बसपा के मलूक नागर भी ऐन मौके पर पाला बदल कर रालोद में जा सकते हैं। तब उनकी दावेदारी ज्यादा मजबूत हो जाएगी।
लेकिन सबसे बड़ा खेल मुजफ्फरनगर में होने की चर्चा तेज है। पूर्व मंत्री योगराज सिंह और भाकियू अध्यक्ष नरेश टिकैत का विवाद जगजाहिर है। योगराज सिंह की पिता की हत्या के मामले में नरेश टिकैत नामजद थे। लेकिन इस मामले में चौ. जयंत सिंह ने पहल करते हुए समझौता करा दिया है। जिस कारण योगराज और टिकैत के बीच अब संबंध बेहतर हैं। चौ. जयंत सिंह योगराज सिंह को भाजपा में शामिल कराकर उन्हें मुजफ्फरनगर सीट पर चुनाव लड़ाने की तैयारी में है। क्योंकि डा. संजीव बालियान ने पिछले चुनाव में उनके पिता को हराया था, तो वह किसी हद तक उन्हें पसंद नहीं करते हैं। इसके अलावा दूसरी चर्चा ये भी है कि जाट बिरादरी के गुट के साथ ही ठाकुर बिरादरी में भी डा. संजीव बालियान को लेकर मतभेद हैं। जिस कारण इस बार उनकी जीत को भाजपा पक्का मानकर नहीं चल रही है। ऐसे में इस नई रणनीति की चर्चा से बिजनौर और मुजफ्फरनगर लोकसभा क्षेत्र में भाजपाई खेमे में हलचल मची हुई है।
डा. सतपाल और बालियान होंगे समायोजित
चर्चा यह भी है कि डा. सतपाल सिंह को किसी केंद्र शासित राज्य का गर्वनर बनाते हुए उन्हें समायोजित किया जा सकता है। जबकि डा. संजीव बालियान को भविष्य में राज्यसभा या किसी आयोग का चेयरमैन बनाते हुए उन्हें भी समायोजित किया जा सकता है।