षडयंत्र के तहत हो रही जाति आधारित जनगणना की पैरवी !

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  • ब्राह्मण स्वाभिमान संघ ने की एकता की अपील।

शारदा न्यूज़, संवाददाता |

मेरठ। परशुराम स्वाभिमान सेना और मेरठ स्थित ब्राह्मणों के विभिन्न संगठनों ने एक जुट होकर ब्राह्मण स्वाभिमान संघ का निर्माण किया है। संघ के सभी घटक यथावत क्रियाशील बने रहेंगे। ब्राह्मणों के दीर्घ हितों की रक्षा के लिए संघ द्वारा आयोजित इस प्रेस वार्ता में संघ के अस्थायी अध्यक्ष धर्म वीर कपिल ने प्रेस को बताया कि संगठनों की संयुक्त बैठक में जाति-आधारित राजनीति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि धीरे धीरे पूरा विश्व विभिन्न सम्प्रदायों और जातियों में अलग अलग खड़ा होता जा रहा है। अतः जो जातिया संगठित नहीं हो सकी उनको हर प्रकार के शोषण और उत्पीडन के लिए तैयार रहना होगा। राजनीति में वोट की निर्णायक भूमिका होती है। जाति आधारित जनगणना की वकालत कोई निरुद्देश्य नहीं हो रही है। ये बड़े षड्यंत्र की शुरुआत है। इसलिए हमें भी सचेत रहकर समय के साथ चलना सीखना होगा।

हम समाज को जातियों में बाँट कर देश को कमजोर करने का पाप करना नहीं चाहते, लेकिन परिस्थितियों ने ब्राह्मण समाज को एक ऐसे अंधे कुएं के कगार तक धकेल दिया है जहाँ जातीय स्वार्थ है और स्वार्थवश जातीय संघर्ष निश्चित है। राजनैतिक दल ही इस दुर्भाग्य के उत्तरदायी हैं। वे ब्राह्मण को छोड़कर शेष जातियों को वोट-समीकरण के अनुसार उनके उम्मीदवार को टिकट देती हैं। भावी भारी क्षति से बचने के लिए ब्राह्मणों को भी संगठित होना ही पड़ेगा। अन्य कोई विकल्प नहीं है। आशु शर्मा, धर्म पाल शर्मा, सतेश्वर दत्त, सुदामा शर्मा और अन्य पदाधिकारियों ने कहा कि परशुराम स्वाभिमान सेना द्वारा पश्चिम उत्तर प्रदेश के 14 जिलों मे गहन अध्ययन करके जातीय आंकड़े तैयार किये गए हैं. प्रत्येक जिले में वोटर्स का जातीय प्रतिशत हमें उपलब्ध है। हमें भी प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में अपना वाजिब हक चाहिए।

पश्चिम उ. प्र. के 14 जिलों में 18% से अधिक ब्राह्मण मतदाता होते हुए भी वर्तमान में इस क्षेत्र से केवल विधायक हैं और मंत्री है।अश्विनी कौशिक अध्यक्ष धर्मेन्द्र शर्मा (बी डी एस), डा विश्व बंधू शर्मा और राजीव शर्मा ने कहा कि जनता को, ब्राह्मणों को और विभिन्न राजनैतिक दलों को इस प्रेस- वार्ता के माध्यम से हम यह सन्देश देना चाते हैं कि जातियों के बल के आधार पर ही यदि सभी पार्टियाँ समीकरण साधने की गरज से टिकट आवंटित करती हैं तो फिर ब्राह्मणों की उपेक्षा क्यों हो जाती है। शायद इसलिए कि वे अभी तक देश हित में वोट का निर्णय करते आये हैं।

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