कांवड़ यात्रा: भगवान भोले बाबा के अऩोखे भक्त
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कांवड़ यात्रा 2023
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भोले के अऩोखे भक्त।
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हरिद्वार से गंगाजल लेकर डमरुधर के दरबार में हाज़िरी लगाती है युवाओं की ये टोली।
शारदा न्यूज़, संवाददाता |
नमस्कार, shardanews.in वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनन्दन है। आपको बता दें सावन का महीना चल रहा है। कांवड़ का महीना चल रहा है। शिव के इस पवित्र महीने में औघड़दानी के एक से बढ़कर एक भक्त देखने को मिल रहे हैं। कोई कांधे पर कई क्विंटल की कावंड़ लेकर चला आ रहा है। तो कोई पांव में छाले को भूलकर जु़बां पर भोले का जयकारे लगाते हुए आगे बढ़ता जा रहा है। इसी कड़ी में औघड़दानी के दरबार में ऐसे युवाओं की टोली नज़र आई जो सावन के हर सोमवार पर हरिद्वार से गंगाजल लेकर आते हैं और त्रिशूलधारी के दरबार में चढ़ाते हैं।
इन युवाओं का कहना है कि अध्यात्म उन्हें आंतिरक आनंद देता है। जिसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है। डमरुधर के इन युवा भक्तों का कहना है कि इस बार सावन दो महीने का है आठ सोमवार पड़ रहे हैं इसलिए आठों सोमवार वो हरिद्वार जाएंगे और भोले के दरबार में हाज़िरी लगाएंगे। युवा तो युवा बच्चे भी शिव की भक्ति में लीन है। भाई बहन की एक जोड़ी ने जब एक सांस में रुद्राष्टक सुनाया तो सभी हर हर महादेव का जयघोष करने लगे।
त्रिशूलधारी के दरबार में आज भक्तों का तांता लगा हुआ है। कोई कांवड़ लेकर डमरुधर के दरबार में पहुंचा हुआ है तो कोई एक लोटा जल लेकर ही अपने शिवशंकर को प्रसन्न करने में जुटा हुआ है। मेरठ में एक महिला तो बाकायदा डमरु लेकर डमरुधर को प्रसन्न करती दिखी।
महिला का कहना है कि भोले तो सिर्फ भाव समझते हैं। पवित्र भाव से कोई भी आता है तो उसकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है। मेरठ के औघड़नाथ मंदिर की तो एक और मान्यता है यहां भक्ति के साथ साथ राष्ट्रभक्ति का भी संगम देखने को मिलता है। इस मंदिर परिसर में ही क्रांति का उदगम् स्थल है इसलिए जो भी शिव के भक्त यहां आते हैं वो क्रांति के उदगम् स्थल को भी प्रणाम करते हैं।
मंदिर के पुजारी का कहना है कि “यहां आज भी कुआं मौजूद हैं जहां क्रांतिवीर पानी पिया करते थे। अट्ठारह सौ सत्तावन की क्रांति के उदगम् स्थल को भक्त प्रणाम कर ख़ुद को धन्य समझते हैं।”
वहीं आपको बता दें कि मेरठ के औघड़नाथ मंदिर की तो एक और मान्यता है यहां भक्ति के साथ साथ राष्ट्रभक्ति का भी संगम देखने को मिलता है। इस मंदिर परिसर में ही क्रांति का उदगम् स्थल है इसलिए जो भी शिव के भक्त यहां आते हैं वो क्रांति के उदगम् स्थल को भी प्रणाम करते हैं।