राज्यसभा सदस्य डा. लक्ष्मीकांत वाजपेयी को विधि मंत्रालय से मिला जवाब।
शारदा न्यूज, मेरठ। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट बैंच की लड़ाई लंबे समय से चल रही है। लेकिन राजनीति के तहत अभी तक इसका समाधान नहीं निकला है। अब इस समस्या और अधिवक्ताओं की मांग को काफी हद तक पूरा कराने के लिए मेरठ में ई-फाइलिंग सेंटर और वर्चुअल कोर्ट की स्थापना की मांग को सुप्रीम कोर्ट ने भी स्वीकार किया है।
राज्यसभा सदस्य डा. लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने विधि मंत्रालय को पत्र लिखकर इस संबंध में मांग की थी। उन्होंने बताया था कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के वादकारियों को इलाहाबाद जाने में बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा पूरी पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अधिवक्ता लगातार करीब तीन दशक से इसकी मांग भी करते आ रहे हैं। जिसका कोई समाधान न निकलने पर अधिवक्ताओं का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। ऐसे में यदि मेरठ में ई-फाइलिंग सेंटर और वर्चुअल कोर्ट की स्थापना हो जाती है, तो अधिवक्ताओं और वादकारियों को बहुत लाभ होगा।
इस संबंध में विधि मंत्रालय ने सभी प्रदेशों के उच्च न्यायालयों को पत्र लिखकर उनकी राय मांगी गई। जिस पपर कर्नाटक, त्रिपुरा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, सिक्किम, बिहार, पंजाब, हरियाणा और गुवाहाटी के मुख्य न्यायधीशों ने अनुकूल उत्तर दिया है। शेष राज्यों के मुख्य न्यायधीशों को दोबारा पत्र भेजा जा रहा है।
वहीं दूसरी और इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक रिट पिटीशन पर सुनवाई में कहा कि तकनीक का उपयोग बहुत लंबे समय तक कोई बार या बैंच टाल नहीं सकते हैं। बार और वादकारी तकनीक का उपयोग करके वाद लड़ सकते हैं। वहीं हाईकोर्ट के कोई भी जज हाइब्रिड हियरिंग से मना नहीं कर सकते हैं। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालयों को इस आदेश का पालन करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया है।
इससे साफ है कि सुप्रीम कोर्ट भी केंद्र सरकार के ई-फाइलिंग सेंटर और वर्चुअल कोर्ट की स्थापना से सहमत है।