होंगझाऊ में चल रहे एशियन गेम समाप्ति की ओर है और भारतीय खेमे में खुशी की लहर है। इसके पीछे कारण भी स्पष्ट है। पहली बार भारत के खाते में 100 से अधिक पदक आए है। खुशी इस बात की है स्वर्ण पदकों की संख्या अभी तक 25 पहुंच गई है जो पहले से अधिक है। इस बार के एशियन गेम में निशानेबाजों, एथलीट, तीरंदाजों के अलावा ऐसे खेलों में भी पदक आए जिन्होंने तमाम सपनो को जन्म दे दिया है।
एक सकारात्मक पहलू ये है हॉकी में गोल्ड मेडल मिलने से पेरिस ओलंपिक का टिकट भी मिल गया। इसके अलावा अब अगले ओलंपिक में निशानेबाज भी दिखेंगे। नीरज चोपड़ा, पारुल चौधरी और अन्नू रानी के यादगार प्रदर्शन लोग लंबे समय तक भूल नही पाएंगे। हैरानी इस बात की है कि खेलो के बजाय राजनीति में ज्यादा रुचि रखने के कारण ओलंपियन पहलवान बजरंग पुनिया का प्रदर्शन बहुत खराब रहा। क्रिकेट और हॉकी ने भारत का सिर ऊंचा किया।
हर एशियाड में निशानेबाज और एथलीट देश के लिए पदक जीतते आ रहे है। इस बार एशियन गेम शुरू होने से पहले संकल्प लिया गया था 100 से कम पदक नही जीतने है। कोई सोच सकता था कि सेपटकरा खेल में बरेली की लड़की कांस्य पदक लाएगी।
एशियाई खेलों के इतिहास में भी पहली बार है जब भारत ने 20 से अधिक स्वर्ण पदक जीते हैं। इससे पहले सबसे ज्यादा स्वर्ण 72 साल पहले यानी 1951 दिल्ली एशियाई खेलों में आए थे। तब भारत ने 15 स्वर्ण जीते थे। भारत ने जकार्ता में हुए पिछले एशियाई खेलों के 70 पदकों के कीर्तिमान को तो पहले ही ध्वस्त कर दिया था और अब तो 100 पदकों का संकल्प लेकर चीन जाने वाले भारतीय खिलाड़ियों ने अपने लक्ष्य को भी हासिल कर लिया है। इस साल निशानेबाजी और एथलेटिक्स खेलों में भारत ने शानदार प्रदर्शन किया। भारतीय टीम ने क्रिकेट के पुरुष और महिला का गोल्ड मेडल जीत कर स्वर्ण पदकों की संख्या को आगे बढ़ाया।
भारत ने एथलेटिक्स में इस बार 29 पदक जीते। इनमें छह स्वर्ण, 14 रजत और नौ कांस्य शामिल हैं। भारत ने इससे पहले ट्रैक एंड फील्ड में सबसे ज्यादा पदक 1951 दिल्ली एशियाई खेलों में थे। तब भारत को 34 पदक मिले थे। इनमें 10 स्वर्ण, 12 रजत और 11 कांस्य पदक शामिल थे। भारत 34 पदक के रिकॉर्ड को तोड़ने से चूक गया।
इस एशियाड में एक अच्छी बात ये हुई कि भारतीय खिलाड़ियों ने नौकायन, बैडमिंटन, टेनिस, कुश्ती आदि में पदक बटोरे। एथलेटिक्स में शॉट पुट, जेवलिन और लंबी कूद में मिले पदकों ने संख्या में बढ़ोतरी की। सबसे सकारात्मक बात ये है कि भारत की झोली में सौ से ज्यादा पदक आए और देश में खेलों के प्रति लोगो का नजरिया भी बदलेगा।