शारदा रिपोर्टर मेरठ। विकुल चपराना के साथ तेज गढ़ी पर हुए प्रकरण को लेकर बुधवार को भारतीय किसान यूनियन (इंडिया) के दर्जनों सदस्यों ने कमिश्नर कार्यालय के गेट पर बैठकर प्रदर्शन किया। प्रदर्शन कर रहे किसानों ने बताया कि, विकुल चपराना मामले में तथ्यों को गलत तरीके से दर्शाया गया है।
उन्होंने कहा कि, पुलिस ने मामले की जांच कर हल्की धाराओं में विकुल को थाने से जमानत दे दी। लेकिन एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद कुछ लोगों ने इस मामले को बेवजह तूल दे दिया और विकुल पर धाराएं बढ़ाई गई और उस मुकदमे दर्ज करते हुए जेल भेज दिया गया। जबकि, सच्चाई यह है कि, उस दिन सत्यम रस्तोगी और उसके दोस्त ने शराब पी रखी थी और वह लोगों से अभद्रता कर रहे थे। उन्हें छोड़ दिया गया। यह कार्रवाई ने केवल कानून की निष्पक्षता पर प्रश्नचिन्ह लगाती है, बल्कि समाज में प्रशासन के प्रति अविश्वास और आक्रोश को जन्म देती है।
उन्होंने कहा कि, सर्व समाज का मानना है कि यह संपूर्ण कार्रवाई राजनीतिक प्रभाव और पक्षपात के घालते की गई है, जिससे चारों तरफा आक्रोश फैला और आक्रोषित युवाओं से बैठकर बातचीत करने के लिए एक पंचायत का आहवान करने वाले कई सम्मानित व्यक्तियों पर नामजद एवं 30-40 अज्ञात व्यक्तियों के ऊपर सोशल मीडिया एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज कर दी गई। प्रदर्शन कर रहे लोगों ने उपरोक्त प्रकरण की किसी वरिष्ठ अधिकारी या स्वतंत्र जांच एजेंसी से निष्पक्ष जांच कराई जाने। निर्दोष छात्रों सुबोध यादव, आयुष शर्मा और हैप्पी भड़ाना के विरुद्ध दर्ज प्रकरण को निरस्त करते हुए शीघ्र रिहा किया जाने।वास्तविक दोषियों सत्यम रस्तोगी एवं सिद्धार्थ रजिस्ट्री बाबू के विरुद्ध कड़ी कानूनी कार्रवाई करने की मांग की।

