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Friday, December 26, 2025
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नेपाल में सोशल मीडिया बैन पर बवाल, अब तक 19 की मौत, 300 से ज्यादा घायल, गृह मंत्री का इस्तीफा

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Nepal News: नेपाल में सोमवार को सोशल मीडिया बैन और भ्रष्टाचार के खिलाफ Gen-Z प्रदर्शनों ने हिंसा का रूप ले लिया। अब तक 19 लोगों की मौत और 300 से ज्यादा लोग घायल हैं। नेपाल में 8 सितंबर को सोशल मीडिया बैन के खिलाफ Gen-Z युवाओं का गुस्सा फूट पड़ा। राजधानी काठमांडू से लेकर कई शहरों में हजारों युवाओं ने सड़कों पर उतरकर जोरदार प्रदर्शन किया। यह आंदोलन धीरे-धीरे हिंसक हो गया, जिसमें 19 लोगों की मौत और 300 से ज्यादा लोग घायल हो गए। हालात बिगड़ने पर देर रात सरकार ने सोशल मीडिया से प्रतिबंध हटा लिया। आइए जानते हैं नेपाल में हिंसा और प्रदर्शन से जुड़े बड़े अपडेट्स-

1. हिंसा की जांच के लिए बनेगी कमेटी

प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने प्रदर्शनकारियों की मौत पर दुख जताया और कहा कि कुछ असामाजिक तत्वों ने शांतिपूर्ण आंदोलन को हिंसक बना दिया। उन्होंने साफ किया कि सरकार का इरादा सोशल मीडिया को बंद करने का नहीं, बल्कि उसे नियमों के तहत नियंत्रित करने का था। साथ ही उन्होंने 15 दिनों में रिपोर्ट देने के लिए एक जांच समिति गठित करने की घोषणा की।

2. गृह मंत्री का इस्तीफा, लेकिन ओली नहीं हटेंगे

हिंसा की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए गृह मंत्री रमेश लेखक ने पद से इस्तीफा दे दिया। वहीं, सूचना मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग ने कहा कि प्रधानमंत्री ओली इस्तीफा नहीं देंगे। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार मृतकों के परिवारों को मुआवजा देगी और घायलों का मुफ्त इलाज कराया जाएगा।

3. सभा, जुलूस या रैली पर पूरी तरह रोक

सोमवार शाम हालात काबू से बाहर हो गए तो सरकार ने काठमांडू में सेना बुला ली. संसद भवन और उसके आसपास के इलाकों का नियंत्रण आर्मी ने संभाल लिया। इसके साथ ही काठमांडू, ललितपुर, पोखरा, बुटवल और ईटहरी में कर्फ्यू लागू कर दिया गया। इस दौरान किसी भी तरह की सभा, जुलूस या रैली पर पूरी तरह रोक रहेगी।

4. विरोध की वजह क्या है?

प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सरकार सिर्फ सोशल मीडिया ही नहीं, बल्कि बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और आर्थिक संकट जैसे मुद्दों पर भी फेल रही है। युवाओं ने सोशल मीडिया पर “Nepo Kid” ट्रेंड चलाकर नेताओं के बच्चों पर ऐश करने का आरोप लगाया, जबकि आम जनता बेरोजगारी और महंगाई से परेशान है।

5. इन देशों ने की हिंसा की निंदा

हिंसक घटनाओं पर संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार इकाई ने गहरी चिंता जताई और निष्पक्ष जांच की मांग की। वहीं अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देशों ने हिंसा की निंदा करते हुए मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदना जताई।

6. सोशल मीडिया पर बैन क्यों लगा था?

सरकार ने तीन दिन पहले फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, व्हाट्सऐप, रेडिट और X समेत 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर पाबंदी लगा दी थी। वजह यह बताई गई थी कि कंपनियां तय समय में पंजीकरण नहीं करा पाईं। सरकार का दावा था कि यह कदम सेंसरशिप नहीं, बल्कि नियमों के पालन को लेकर उठाया गया, लेकिन युवाओं ने इसे अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला मानते हुए कड़ा विरोध किया।

 

नेपाली में Gen Z के प्रदर्शनों के बाद सियासी भूचाल! खतरे में ओली सरकार, गृह मंत्री रमेश लेखक ने दिया इस्तीफा

Nepal Protests: नेपाल में हिंसा की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए गृह मंत्री रमेश लेखक ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। हालात बिगड़ने के बाद सरकार ने सोमवार रात सोशल मीडिया ऐप्स से प्रतिबंध हटा लिया।

नेपाल में सोमवार (8 सितंबर) को Gen Z प्रदर्शनों पर हुई हिंसक पुलिस कार्रवाई के बाद बड़ा राजनीतिक कदम सामने आया है. भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया बैन के खिलाफ उठे विरोध की आग में अब सत्ता के गलियारों तक हलचल मच गई है. हिंसा की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए गृह मंत्री रमेश लेखक ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।

हिमालयन टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, रमेश लेखक ने प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली की अध्यक्षता में बालुवाटार में हुई कैबिनेट बैठक के दौरान अपना इस्तीफा सौंप दिया. सोमवार को राजधानी काठमांडू और अन्य शहरों में हजारों Gen-Z युवाओं ने सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया. धीरे-धीरे स्थिति हिंसक हो गई, जिसमें 19 लोगों की मौत हो गई और 300 से ज्यादा लोग घायल हो गए. हालात बिगड़ने के बाद सरकार ने देर रात सोशल मीडिया ऐप्स से प्रतिबंध हटा लिया. हालांकि, इससे पहले प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने बैन हटाने से साफ इनकार कर दिया था।

हिंसा की जांच के लिए बनेगी कमेटी

प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने प्रदर्शनों के दौरान हुई मौतों पर गहरा दुख जताया और कहा कि शांतिपूर्ण विरोध में कुछ असामाजिक तत्वों के शामिल होने से हालात बिगड़ गए. सरकारी संपत्ति की रक्षा के लिए बल प्रयोग करना पड़ा. उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार का उद्देश्य सोशल मीडिया को पूरी तरह बंद करना नहीं, बल्कि उसे नियंत्रित करना था. साथ ही उन्होंने घोषणा की कि एक जांच समिति गठित की जाएगी, जो 15 दिनों के भीतर पूरी रिपोर्ट सौंपेगी।

काठमांडू में कर्फ्यू, आर्मी तैनात

हालात बेकाबू होने पर सोमवार को काठमांडू में सेना तैनात कर दी गई. आर्मी ने संसद भवन और उसके आसपास के इलाकों का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया है. बढ़ती हिंसा के बाद प्रशासन ने काठमांडू, ललितपुर, पोखरा, बुटवल और ईटहरी में कर्फ्यू घोषित कर दिया है. कर्फ्यू के दौरान किसी भी तरह की सभा, रैली या आम लोगों की आवाजाही पर पूरी तरह प्रतिबंध रहेगा।

 

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