मेरठ। कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का इलाज अब और अधिक सटीक और तेजी से संभव हो सकेगा। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ के शिक्षकों के सामूहिक प्रयास से एक मशीन लर्निंग- आधारित विधि विकसित की है जो कैंसर की शुरूआती अवस्था में ही अभूतपूर्व सटीकता और गति के साथ इसका पता लगाने में सक्षम है। यह तकनीक न सिर्फ़ भारत बल्कि दुनिया भर में कैंसर के निदान और उपचार रणनीतियों में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है। इस शोध कार्य को हाल ही में भारतीय पेटेंट प्राप्त हुआ है। इस शोध को विश्वविद्यालय की अंतर्विभागीय टीम ने मिलकर अंजाम दिया।
इसमें रसायन विज्ञान विभाग की डॉ. नाजिया तरन्नुम और डॉ. दीपक कुमार, सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के इंजीनियर प्रवीण कुमार और सैयद विलायत अली रिजवी, तथा गणित विभाग के डॉ. मुकेश कुमार शर्मा शामिल हैं।
टीम ने मशीन लर्निंग से सहायता प्राप्त मॉलिक्युलरली इंप्रिंटिड पॉलिमर विश्लेषण प्रणाली तैयार की है, जो कैंसर कोशिकाओं की पहचान में 98 प्रतिशत तक सटीकता प्रदान करती है। इस तकनीक की सबसे अहम उपलब्धि यह है कि इससे तैयार किए गए बायोसेंसर किफायती और उपयोग में आसान होंगे। ये रक्त, लार या मूत्र जैसे सामान्य शारीरिक तरल पदार्थों में मौजूद कैंसर मार्करों की बेहद कम मात्रा का भी पता लगाने में सक्षम हैं। पहले जहाँ कैंसर की पुष्टि में कई दिन लग जाते थे, वहीं यह तकनीक अब कुछ ही मिनटों में निदान संभव बना सकती है।
शोधकतार्ओं का कहना है कि कैंसर स्थायी बीमारी नहीं है—ट्यूमर बदलते रहते हैं और कई बार इलाज के प्रति प्रतिरोधी हो जाते हैं। डॉक्टरों को वास्तविक समय में लगातार सटीक और व्यक्तिगत जानकारी उपलब्ध कराकर यह तकनीक इलाज को और अधिक प्रभावी बनाएगी। यही नहीं, यह कैंसर उपचार में एक ही इलाज सबके लिए की पारंपरिक पद्धति से हटकर हर मरीज के लिए व्यक्तिगत इलाज की दिशा में एक बड़ा कदम है।
मुख्य विशेषताएँ
शुरूआती अवस्था में कैंसर का पता लगाने में 95% से अधिक सटीकता। फेफड़े, स्तन, अग्नाशय और त्वचा कैंसर की पहचान में विशेष रूप से कारगर। घातक और सौम्य ट्यूमर में अंतर करने की क्षमता।