spot_imgspot_imgspot_imgspot_img
Thursday, December 25, 2025
spot_imgspot_imgspot_imgspot_img
Homeउत्तर प्रदेशMeerutमां को लेकर देश में राजनीति गरमाई !

मां को लेकर देश में राजनीति गरमाई !

-

मां को लेकर देश में राजनीति गरमाई !

आदेश प्रधान एडवोके
एडवोकेट आदेश प्रधान.

आदेश प्रधान एडवोकेट | भारतीय राजनीति में शब्दों की मर्यादा और गरिमा कब की टूट चुकी है। कभी नेता एक-दूसरे पर व्यक्तिगत कटाक्ष करते हैं, कभी परिवारों पर हमला बोलते हैं और अक्सर महिलाओं को अपमानित करने से भी परहेज़ नहीं करते। लेकिन इस समय भाजपा जिस मुद्दे पर पूरे देश में शोर मचा रही है, वह है – “मोदी जी की माँ का अपमान।” हर मंच से यही रट लगाई जा रही है कि प्रधानमंत्री की माँ का सम्मान राष्ट्रीय अस्मिता का प्रश्न है। टीवी चैनलों से लेकर सड़क के पोस्टरों तक यही नैरेटिव फैलाया जा रहा है।

सवाल उठता है – क्या केवल मोदी जी की माँ ही माँ हैं? क्या सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी, महुआ मोइत्रा, सुप्रिया सुले, मायावती जैसी महिलाएँ माँ-बहन नहीं हैं? जब भाजपा नेताओं ने उन पर गंदी टिप्पणियाँ कीं, तब मातृत्व और नारी सम्मान भाजपा के नेताओं को क्यों याद नहीं आया? यही है राजनीति का सबसे बड़ा दोहरा मापदंड, जहाँ सम्मान का पैमाना सत्ता और वोट बैंक के हिसाब से तय होता है।

 

 

 

नरेंद्र मोदी, जो आज मातृत्व के नाम पर आँसू बहाते नज़र आते हैं, वही 2004 में सोनिया गांधी को “जर्सी गाय” और राहुल गांधी को “हाइब्रिड बछड़ा” कह चुके हैं। उन्होंने कांग्रेस की विधवा जैसी भाषा का इस्तेमाल किया और यहाँ तक कहा कि एक कांग्रेस नेता की पत्नी “50 करोड़ की गर्लफ्रेंड” है। यह बयान केवल राजनीतिक कटाक्ष नहीं था, बल्कि महिलाओं की गरिमा पर हमला था। लेकिन तब भाजपा के कार्यकर्ताओं ने ताली बजाई, न कि मातृत्व का स्मरण किया।

इसी तरह भाजपा नेताओं की पूरी सूची है जिनकी ज़ुबानें लगातार महिलाओं का अपमान करती रही हैं। रमेश बिधुरी ने प्रियंका गांधी के cheeks पर अश्लील टिप्पणी की। गिरिराज सिंह ने सोनिया गांधी के विदेशी मूल पर नस्लभेदी कटाक्ष किया कि “अगर राजीव गांधी ने नाइजीरियन महिला से शादी की होती तो कांग्रेस मान लेती?” हिरालाल रेगर ने तो सोनिया और राहुल गांधी को कपड़े उतारकर इटली भेजने की बात कही। अनंत कुमार हेगड़े ने शादी और धर्म को जोड़कर कांग्रेस अध्यक्ष को नीचा दिखाया। भाजपा विधायक सुरेंद्र सिंह ने सोनिया गांधी और सपना चौधरी का नाम जोड़कर फूहड़ मज़ाक किया।

इतना ही नहीं, भाजपा की मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने मतदाताओं को “रामज़ादे और हरामज़ादे” कह दिया। साक्षी महाराज ने महिलाओं की कोख को चुनावी आँकड़ों से जोड़ते हुए कहा कि हर हिंदू महिला को चार बच्चे पैदा करने चाहिए। रघुनंदन शर्मा और तीरथ सिंह रावत जैसे नेता महिलाओं के कपड़ों और जीन्स पर भाषण देते रहे, मानो महिलाएँ स्वतंत्र नागरिक नहीं बल्कि पार्टी के नियंत्रण का उपकरण हों। यह सब कुछ दर्शाता है कि भाजपा नेताओं के लिए नारी सम्मान महज़ मंच की शोभा है, असल ज़िंदगी में उनकी सोच बेहद संकीर्ण और अपमानजनक है।

लेकिन जैसे ही बात मोदी जी की माँ पर आती है, भाजपा पूरी ताक़त से मैदान में उतर जाती है। प्रवक्ता टीवी स्टूडियो में चिल्लाने लगते हैं, नेता संसद में मुद्दा उठाते हैं और कार्यकर्ता सड़क पर हंगामा करने लगते हैं। यही है भाजपा का “चुनिंदा आक्रोश”। जब अपमान विपक्ष की महिलाओं का होता है तो चुप्पी साधी जाती है, लेकिन जब प्रधानमंत्री की माँ का नाम आता है तो उसे राष्ट्रीय अस्मिता बना दिया जाता है।

दरअसल भाजपा ने “माँ” शब्द का इस्तेमाल एक राजनीतिक हथियार बना लिया है। कभी “भारत माँ” के नाम पर राष्ट्रवाद का एजेंडा बेचा जाता है, कभी “गंगा माँ” के नाम पर धार्मिक आस्था का शोषण होता है, और अब “मोदी जी की माँ” के नाम पर भावनाएँ भड़काई जा रही हैं। जबकि सच्चाई यह है कि मातृत्व भाजपा के लिए केवल वोट बटोरने का साधन है, वास्तविक सम्मान नहीं।

इसके विपरीत कांग्रेस ने हमेशा कहा कि हर महिला, हर माँ और हर बेटी का सम्मान होना चाहिए। इंदिरा गांधी को आयरन लेडी कहकर पूरी दुनिया ने सम्मान दिया। सोनिया गांधी ने विदेशी मूल के कारण जितनी आलोचना झेली, उतनी शायद ही किसी अन्य महिला ने झेली होगी, लेकिन कांग्रेस ने उन्हें कभी अपमानित नहीं किया। प्रियंका गांधी आज भी सार्वजनिक जीवन में गरिमा बनाए रखती हैं, बावजूद इसके भाजपा नेताओं ने उन पर घटिया टिप्पणियाँ कीं। मायावती, महुआ मोइत्रा, सुप्रिया सुले – सभी ने भाजपा नेताओं के अपमान का सामना किया। लेकिन तब मातृत्व, नारी गरिमा और सम्मान भाजपा की राजनीति से ग़ायब हो गया।

यही कारण है कि आज जनता पूछ रही है – मोदी जी की माँ देश की माँ हैं तो राहुल गांधी की माँ क्यों नहीं? क्या सोनिया गांधी का अपमान अपमान नहीं था? क्या प्रियंका गांधी की गरिमा गरिमा नहीं थी? क्या महुआ मोइत्रा, मायावती और सुप्रिया सुले का अपमान किसी और ग्रह पर हुआ था कि भाजपा को सुनाई नहीं दिया?

यह राजनीति का घोर पाखंड है। भाजपा अपने नेताओं की ज़ुबान से निकली गालियों को छिपाती है और विपक्ष के बयान को राष्ट्रीय संकट बना देती है। यह वही राजनीति है जिसमें माँ का नाम वोट बैंक के लिए इस्तेमाल होता है, न कि सच्चे सम्मान के लिए।

भारतीय संस्कृति कहती है – “माँ केवल जन्म देने वाली नहीं, बल्कि पूरी सभ्यता की आधारशिला है।” लेकिन भाजपा की राजनीति में माँ एक चुनावी नारा है, जिसे जब चाहा इस्तेमाल किया और जब चाहा भुला दिया। असली सम्मान तब होगा जब भाजपा अपने नेताओं की ज़ुबान पर भी लगाम लगाए, जब सभी महिलाओं को एक समान गरिमा दे, चाहे वे सत्ता पक्ष से हों या विपक्ष से।

आज जनता भाजपा से यही पूछ रही है – क्या केवल मोदी जी की माँ ही माँ हैं? क्या देश की अन्य माताएँ, बेटियाँ और बहनें सम्मान की पात्र नहीं? क्या मातृत्व का सम्मान भी अब सत्ता और वोट की राजनीति पर निर्भर करेगा?

असलियत यही है कि भाजपा की राजनीति चुनिंदा आक्रोश, गंदी ज़ुबान और झूठे नैरेटिव पर टिकी है। लेकिन अब जनता इनकी दोहरी चाल समझ चुकी है। मातृत्व का राजनीतिक इस्तेमाल हमेशा नहीं चलेगा। माँ केवल मोदी जी की नहीं, माँ इस देश की हर महिला है। और जब तक हर महिला को बराबरी का सम्मान नहीं मिलेगा, तब तक भाजपा का “नारी सम्मान” का नारा केवल एक ढोंग और छलावा ही माना जाएगा।

नोट: संपादकीय पेज पर प्रकाशित किसी भी लेख से संपादक का सहमत होना आवश्यक नही है ये लेखक के अपने विचार है।

Related articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

4,000,000FansLike
100,000SubscribersSubscribe

Latest posts