– हाईकोर्ट इलाहाबाद की लखनऊ खंडपीठ ने खारिज की राहत देने की याचिका।
लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने अपने एक फैसले में स्पष्ट किया है कि महिला के कपड़े उतारना भी दुष्कर्म की कोशिश जैसा अपराध है। हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने एक फैसले में कहा कि दुराचार करने के लिए किसी महिला के कपड़े उतारना दुष्कर्म की कोशिश करने का अपराध है। न्यायमूर्ति रजनीश कुमार की एकल पीठ ने इस टिप्पणी के साथ दुष्कर्म के प्रयास के मामले में सजायाफ्ता की अपील को खारिज कर दिया।
अलीगंज थानाक्षेत्र के वर्ष 2004 के मामले में आरोपी प्रदीप कुमार के खिलाफ आरोप था कि उसने एक महिला का अपहरण कर करीब 20 दिन अपने संबंधी के मकान में बंद रखा और उसके साथ दुष्कर्म करने की कोशिश की। ट्रायल कोर्ट ने आरोपी को 10 वर्ष की सजा सुनाई थी।
इसके खिलाफ आरोपी ने हाईकोर्ट में अपील की थी।
अभियोजन पक्ष का कहना था कि आरोपी ने पीड़िता को बंद रखने के दौरान उसके कपड़े उतारकर उससे दुष्कर्म का प्रयास किया। हालांकि, पीड़िता के कड़े विरोध के कारण आरोपी दुष्कर्म नहीं कर सका।
हाईकोर्ट ने कहा कि पीड़िता के कपड़े उतारना दुष्कर्म के प्रयास का अपराध है। कोर्ट ने आरोपी की अपील में दी गई इस दलील को भी खारिज कर दिया कि उसे मामले में रंजिशन फंसाया गया है। हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट की ओर से सुनाई गई सजा के निर्णय को उचित करार देकर अपील खारिज कर दी।