शारदा रिपोर्टर मेरठ। आर्य समाज सूरजकुंड मार्ग के 55वें में स्थापना दिवस का शुभारंभ देव यज्ञ से हुआ। आचार्य शिवम शास्त्री द्वारा संपन्न कराए गए यज्ञ के यजमान भावना बिश्नोई- हरि ओम बिश्नोई, रेखा सिंह- नीरज सिंह, राखी जिंदल- अतुल जिंदल, नेहा आर्य- क्रांति देव आर्य रहे। यज्ञ में ऋग्वेद के 100 मंत्रों से विशेष आहुतियां प्रदान कर विश्व कल्याण की कामना की गई।
कार्यक्रम में प्रसिद्ध आर्य भजनोपदेशक पंडित कुलदीप आर्य ने ईश्वर भक्ति के बहुत सुंदर भजनों के द्वारा श्रोताओं को आनंदित किया। “मनमीत बसा मन में मन के दर्पण में देखा नहीं” भजन सुना कर उन्होंने श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया। नर्मदापुरम मध्य प्रदेश से पधारे युवा आर्य विद्वान आचार्य डॉक्टर योगेंद्र याज्ञिक ने कहा की परमपिता परमात्मा ने यह समस्त ऐश्वर्यादि और भूमि आर्यों को प्रदान की है। आर्य कोई जातिवाचक शब्द नहीं अपितु गुणवाचक शब्द है जो उदार , श्रद्धावान, परोपकारी एवं सदाचारी है वह आर्य है तथा जो दुरात्मा पाप करने वाला तथा अनाधिकार चेष्टा करने वाला है वह अनार्य है। हमें जीवन में उत्तम कर्म करने का ईश्वर की उपासना करने का व्रत लेना चाहिए तभी सद्गुणों को धारण कर सच्चे आर्य बन सकते हैं। कार्यक्रम का संयोजन डॉक्टर आर पी सिंह चौधरी जी ने किया।
कार्यक्रम में प्रधान आनंद प्रकाश त्यागी ,मंत्री सुबोध आर्य श्री चंद चौहान, अरविंद कुमार,सुषमा त्यागी, अनीता सिंह, प्रीति सेठी, हर्षिता आर्य,राजेश सेठी, चंद्रकांत, हरवीर सुमन, रामपाल सिंह, रविंद्र सिंह, सुरेंद्र गुप्ता, सुशील बंसल, तेजवीर सिंह,ज्ञान प्रभा उपस्थित रहे।