- गंगा नदी उफान पर।
अमरोहा। उत्तराखंड और हरिद्वार में मूसलाधार बारिश का असर अब मैदानी इलाकों में दिखने लगा है। अमरोहा में गंगा नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। सोमवार शाम को तिगरी घाट पर नदी ने रौद्र रूप दिखाया। घाट पर स्थित पुरोहितों की कई झोपड़ियां डूब गईं। तख्त और ठेले पानी में बहने लगे। स्थानीय लोगों ने बहती झोपड़ियों और सामान को बचाने की कोशिश की, लेकिन कुछ झोपड़ियां पूरी तरह जलमग्न हो गईं। घाट किनारे रहने वाले पुरोहितों में दहशत है। गंगा लगातार घाट की ओर बढ़ रही है। हर साल ऐसी आफत आती है, लेकिन कोई स्थायी समाधान नहीं है।
गंगा घाट के पुरोहित पंडित दिनेश कुमार शर्मा ने बताया कि सुबह से ही पानी बढ़ने लगा था, लेकिन शाम होते-होते हालात बेकाबू हो गए। हरिद्वार से छोड़े गए पानी का असर सीधे तिगरी घाट पर देखने को मिल रहा है। कुछ झोपड़ियां और तख्त बह गए हैं। अधिकारी आए थे, अलर्ट रहने को कहकर चले गए।
गंगा के बढ़ते जलस्तर से हसनपुर और धनौरा तहसील के 50 से अधिक गांवों पर खतरा मंडराने लगा है। ये गांव हर साल बाढ़ की चपेट में आते हैं। खेतों में चार-चार फीट तक पानी भर जाता है और गांवों की सड़कें नदियों में तब्दील हो जाती हैं। ग्रामीणों को महीनों तक जलजमाव और आवागमन की दिक्कतों से जूझना पड़ता है।
बाढ़ खंड मुरादाबाद के अधिकारी सुभाष कुमार ने बताया कि फिलहाल गंगा में न्यूनतम जलस्तर बढ़ा है, घबराने जैसी कोई बात नहीं है। अगर बिजनौर बैराज से एक लाख क्यूसेक से ज्यादा पानी डिस्चार्ज होता है तो जलस्तर और बढ़ेगा। हम लगातार निगरानी कर रहे हैं। तिगरी बांध पर बंध लगाकर कटाव रोकने की कोशिश की जा रही है।
गंगा घाट पर रह रहे पुरोहितों और ग्रामीणों ने प्रशासन से तत्काल राहत और पुनर्वास की मांग की है। उनका कहना है कि जैसे-जैसे गंगा का जलस्तर बढ़ रहा है, खतरा और गहरा रहा है। अभी बारिश थमी नहीं है, ऐसे में हालात बिगड़ सकते हैं।