शारदा रिपोर्टर मेरठ। सीसीएसयू में चल रहे अंतरराष्ट्रीय योग सप्ताह के अंतर्गत आयोजित विशेष योग सत्र में प्रख्यात योगाचार्य स्वामी कर्मवीर महाराज ने विद्यार्थियों, शिक्षकों एवं योग साधकों को संबोधित करते हुए कहा कि योग केवल शारीरिक व्यायाम नहीं, बल्कि जीवन की सम्पूर्ण जीवन शैली है।
महर्षि पतंजलि द्वारा प्रतिपादित अष्टांग योग के माध्यम से मनुष्य न केवल आत्मशुद्धि करता है, बल्कि मानसिक और आत्मिक स्तर पर भी उच्चतर अनुभव प्राप्त करता है। स्वामी जी ने कहा कि यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि जैसे योग के आठ अंग यदि हमारे जीवन का अंग बन जाएं, तो जीवन में संतुलन, शांति और सकारात्मकता का प्रवाह स्वाभाविक हो जाता है।
उन्होंने कहा कि सात्विक आहार औषधि के समान है, जो न केवल शरीर को पोषण देता है बल्कि मन को भी शांत और स्थिर करता है। कार्यक्रम में उन्होंने वसुधैव कुटुम्बकम की भावना को अपनाने का संदेश देते हुए कहा कि जब हम सबको मित्रवत दृष्टि से देखना शुरू करते हैं।
तो समाज में करुणा, सहानुभूति और समरसता का भाव विकसित होता है। युवाओं से उन्होंने आग्रह किया कि वे सकारात्मक चिंतन, योग और तपस्वी जीवन की ओर अग्रसर हों। स्वामी जी ने विशेष रूप से महर्षि पतंजलि द्वारा बताए गए मंत्र, तप और ध्यान की महत्ता बताते हुए कहा कि इससे साधक समाधि तक की सिद्धि प्राप्त कर सकता है।
उन्होंने कहा, योग जीवन का श्रृंगार है, जो व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और आत्मिक रूप से संपूर्ण बनाता है।