- पार्कों के सुंदरीकरण के लिए हर साल आती है धनराशि, निगम में हो जाती है बंदरबांट।
शारदा रिपोर्टर मेरठ। शहर के पार्कों की सुंदरता बढ़ाने के लिए लगाए गए फव्वारे ही पार्कों की ही बदहाली का कारण बन गए हैं। स्थिति यह है कि शहर के किसी एक पार्क में भी आज की तारीख में फव्वारा चलता हुआ नहीं दिखेगा। जबकि ये फव्वारे पार्कों का मुख्य आकर्षण हुआ करते थे। शाम के समय पार्कों में बकायदा लोग इन फव्वारों को देखने आया करते थे। मगर नगर निगम की अनदेखी के चलते आज किसी कहीं पार्क में लगे फव्वारों की टोंटी चोरी हो गई तो कहीं मोटर तक गायब हो गए हैं। इतना ही नहीं, निगम ने न तो इस बाबत कोई रिपोर्ट दर्ज कराई गई और न ही इन्हें दुरुस्त कराया जा रहा है। जबकि, हर साल करोड़ों रुपए इन पार्कों के सौंदर्यीकरण के लिए खर्च करने की बात सामने आती हैं। लेकिन क्या सचमुच इन पार्कों में किसी भी तरह का सौंदर्यीकरण हो रहा है? यह इन पार्कों को देखकर साफ पता चलती है।
मोटर और लाइटें गायब: आठ साल पहले शहर के मॉडल पार्क मंगल पांडेयनगर और ऐतिहासिक पार्क जैसे सूरजकुंड, एमडीए के जोनल पार्क आदि की खूबसूरती बढ़ाने के लिए फाउंटेन तैयार किए गए थे। ये फाउंटेन शाम होते ही पार्क की सुंदरता को बढ़ा देते थे। लेकिन कुछ साल में ही इन फव्वारों की मोटर और लाइट गायब हो गई है। अब हालात यह हैं कि अधिकतर फव्वारे खराब पड़़े हैं। विभागीय लापरवाही के चलते ये फव्वारे जर्जर हो चुके हैं।
सभी पार्कों में फव्वारे बंद: अमृत योजना के तहत पार्कों के सौंदर्यीकरण के तहत 2015-16 में पार्कों में फव्वारे लगाने की प्रक्रिया शुुरू हुई थी। इसके लिए अमृत योजना से लगभग 13.56 करोड़ रुपए धनराशि स्वीकृत हुई थी। इसके अलावा शहर के 623 से अधिक छोटे पार्कों के भी सौंदर्यीकरण का काम निर्माण विभाग द्वारा कराया गया। लेकिन अमृत योजना के तहत जिन पार्कों में फव्वारे लगाए गए उनके फव्वारों ने कुछ साल में ही दम तोड़ दिया। मंगल पांडेयनगर पार्क, जागृति विहार सेक्टर-3 के आजाद पार्क, कांशीराम पार्क पीवीएस रोड आदि शामिल हैं। इन सभी पार्कों के फव्वारे आज जर्जर हो चुके हैं।
फैक्ट्स पर एक नजर
625 नगर निगम के दायरे में पार्कों की संख्या।
380 पार्क विकसित और 245 अविकसित पार्क निगम के दायरे में शामिल।
2015-16 में शुरू हुई थी अमृत योजना के अंतर्गत पार्कों के सौंदर्यीकरण की कयावद।
2019-20 तक कुल 11 पार्कों का सुंदरीकरण करने की बनी थी योजना।
अमृत योजना में गंगानगर, शास्त्रीनगर, जागृति विहार, पल्लवपुरम क्षेत्र को ही वरीयता दी गई।