-वक्फ मामले में सरकार को मिला सात दिन का वक्त, अग्रिम आदेश तक नियुक्ति न करने के दिये आदेश
एजेंसी, नई दिल्ली: वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली 73 से अधिक याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में आज दूसरे दिन सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को जवाब देने के लिए सात दिनों का वक्त दिया है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने अगले आदेश तक वक्फ में कोई नई नियुक्ति नहीं किए जाने का भी आदेश दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने इस पर अंतरिम रोक लगा दी है। सुनवाई के दौरान एसजी मेहता ने कहा कि प्रतिवादी 7 दिनों के भीतर एक संक्षिप्त जवाब दाखिल करना चाहते हैं और आश्वासन दिया कि अगली तारीख तक 2025 अधिनियम के तहत बोर्ड और परिषदों में कोई नियुक्ति नहीं होगी। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि अधिसूचना या राजपत्रित द्वारा पहले से घोषित यूजर्स द्वारा वक्फ सहित वक्फों की स्थिति में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा।
इससे पहले वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को दो घंटे सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने इन याचिकाओं पर दो हफ्ते के अंदर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। कल की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कानून के लागू होने पर तत्काल रोक नहीं लगाई है लेकिन वक्फ कानून के विरोध में देशभर में हो रही हिंसा पर चिंता जताई है।
वक्फ कानून के खिलाफ 72 याचिकाएं
इससे पहले कल वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिकता के खिलाफ 72 याचिकाओं से जुड़ी सुनवाई चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस के वी विश्वनाथन की बेंच ने की। केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और मुस्लिम निकायों तथा व्यक्तिगत याचिकाकतार्ओं की ओर से कपिल सिब्बल, राजीव धवन, अभिषेक सिंघवी, सी यू सिंह सहित वरिष्ठ अधिवक्ताओं की दलीलें सुनने के बाद प्रधान न्यायाधीश ने नोटिस जारी करने और एक अंतरिम आदेश पारित करने का प्रस्ताव रखा तथा कहा कि इससे समानताएं संतुलित होंगी।
वक्फ कानून के खिलाफ दलील दे रहे कपिल सिब्बल ने कहा कि 300 साल पहले तो ऐसी व्यवस्था नहीं थी फिर उन मस्जिदों की डीड कहां से लाएंगे? इस पर सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र से पूछा कि वक्फ बाई यूजर क्यों हटाया गया तो सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि जो प्रॉपर्टी वक्फ के तौर पर रजिस्टर्ड हैं वो वक्फ की ही रहेंगी।
कोर्ट ने पूछा कि वक्फ बाई यूजर वाली प्रॉपर्टी का क्या होगा तो केन्द्र की तरफ से कहा गया कि कलेक्टर प्रॉपर्टी की जांच करके उसे रिकॉर्ड में ले आएगा। बोर्ड में गैर मुस्लिमों की एंट्री को कपिल सिबब्ल ने गैर संवैधानिक बताया तो सुप्रीम कोर्ट ने एसजी से पूछा कि बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों का प्रावधान क्यों बनाया? इसके जवाब में एसजी ने कहा कि बोर्ड में ज्यादातर सदस्य मुस्लिम हैं और गैर-मुस्लिम सदस्यों की संख्या 2 से ज्यादा नहीं होगी।