हाईकोर्ट ने पति ललित चौहान को रिहा करने का आदेश दिया, 2013 का मामला
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मेरठ के चर्चित प्रियंका दहेज हत्या केस के आरोपी न हो पाने के कारण आरोप से बरी कर दिया है। साथ ही कोई अन्य मामला नहीं होने पर उसे रिहा करने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह एवं न्यायमूर्ति डॉ गौतम चौधरी की खंडपीठ ने ललित चौहान की अपील पर वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी को सुनकर दिया है।
मामले के तथ्यों के अनुसार वर्ष 2013 में मेरठ जिले के भवानपुर थाना क्षेत्र में प्रियंका की संदिग्ध परिस्थितियों में मृत्यु हो गई थी। घटना के बाद प्रियंका के भाई मोहित सिंह ने प्राथमिकी दर्ज कराकर बहनोइ ललित चौहान और उसके परिवारजनों पर दहेज हत्या का आरोप लगाया था। ट्रायल के बाद सत्र न्यायालय ने वर्ष 2020 में आरोपी पति ललित चौहान को धारा 302 आईपीसी के तहत दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इसके विरुद्ध हाईकोर्ट में यह अपील की गई थी।
ललित चौहान की ओर से कहा गया कि अभियोजन पक्ष के चार मुख्य गवाह मृतका के भाई, माता-पिता और बहन सभी अपने पहले दिए गए बयान से मुकर गए। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि न तो दहेज की कोई मांग की गई थी और न ही किसी प्रकार की प्रताड़ना हुई थी। इसके अलावा किसी ने हत्या को होते हुए नहीं देखा और न ही यह साबित हुआ कि घटना के समय केवल आरोपी ही घर में मौजूद था।
खंडपीठ ने पाया कि अभियोजन ने परिस्थितिजन्य साक्ष्य भी पर्याप्त रूप से प्रस्तुत नहीं किए और न ही भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 106 लागू करने की उचित स्थिति बनी। इसलिए संदेह का लाभ देते हुए ललित चौहान को आरोप से दोषमुक्त कर दिया और उसे रिहा करने का आदेश दिया।