देहरादून। राजाजी नेशनल पार्क उत्तराखंड के हरिद्वार, देहरादून और पौड़ी गढ़वाल जिले में फैला हुआ राष्ट्रीय उद्यान एवं बाघ अभ्यारण है। ये शिवालिक पहाडिओं में लगभग 820 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला है। इस पार्क का नाम देश के पहले और आखिरी गवर्नर जनरल सी राजगोपालाचारी के नाम पर रखा गया था। वर्ष 1983 में तीन वन्य जीव अभ्यारण चीला, मोतीचूर और राजाजी को मिला कर बनाया गया है।
1948 में ये क्षेत्र राजाजी अभ्यारण के रूप में बनाया गया और बाद में वर्ष 2015 में सरकार ने राजाजी अभ्यारण को बाघ अभ्यारण के रूप में स्वीकृति दे दी। गंगा नदी पार्क के बीच से बहती है और इसे दो भागों में विभाजित करती है। पश्चिमी राजाजी, मोतीचूर और चीला अभ्यारण। राजाजी अभ्यारण में वन्यजीव की भरमार है। इनमे मुख्य है भारतीय हाथी, बंगाल टाइगर, तेंदुआ, चीतल,सांभर, हिरन, बारहसिंघा, काकड़, नील गाय, सूअर, स्लोथ भालू, ब्लैक भालू, लेपोर्ड कैट, जंगल कैट, जंगली कुत्ते, लोमड़ी, गोल्डन सियार आदि मुख्य रूप से पाए जाते है। इनके अलावा रुसेल वाइपर, अजगर, करैत, कोबरा, नेवला, हनुमान लंगूर आदि प्रमुखता से मिलते है। इसके अलावा 315 तरह के प्रवासी और विदेशी पक्षिओं की भरमार है।
राजाजी नेशनल पार्क में कई सफारी क्षेत्र है। कुछ हरिद्वार के पास है और कुछ देहरादून के पास है। हरिद्वार के पास वाले सफारी क्षेत्र में चीला, झिलमिल, मोतीचूर और रानीपुर है । देहरादून के पास आशारोड़ी और मोहंड सफारी क्षेत्र है । इन सफारी क्षेत्रों में जिप्सी पर जंगल सफारी की जा सकती है।
मोहंड की चीला सफारी देहरादून से केवल 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। ये वन्यजीव प्रेमियों के लिए अति उत्तम सफारी है। सहारनपुर से देहरादून मुख्य मार्ग पर स्थित ये सफारी आपको जीवन में कभी न भूलने वाला अनुभव प्रदान करता है। ये सफारी मोहंड गेट से शुरू होकर 35 किलोमीटर का क्षेत्र ढाई से तीन घंटे में घुमाती है। इसमें जंगल, तालाब को देख सकते है। इस दौरान जगह जगह चीतल और नील गाय के झुण्ड और उनके परिवार दिखते है। यहाँ के तेंदुए लैला, हीरा , पन्ना अठखेलियां करते दिख जायेंगे। यदि आप फोटोग्राफी के शौक़ीन है तो आप इस अनुभव को कभी नहीं भूल पाएंगे।