Wednesday, April 16, 2025
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अपनी बदहाली की कहानी बयां कर रहे शहर के पार्क

– सिंचाई तो दूर, पेयजल तक की नहीं है सुविधाएं, कई जगह झाड़ियां और कूड़े के ढेर।


शारदा रिपोर्टर

मेरठ। शहर में खूबसूरत पार्क हैं। इनमें मार्निंग और इवनिंग वॉक के लिए कई लोग आते हैं। बच्चे हो, बड़े हों या बुजुर्ग हों, सभी सुबह-सुबह पार्कों में घूमने आते हैं। भीड़ जुटती है, लेकिन अगर आपको प्यास लगे तो पार्कों में ड्रिकिंग वाटर नहीं मिलेगा। आप पीने के पानी के लिए परेशान हो जाएंगे। निगम और एमडीए के दावे तो बहुत हैं, लेकिन वास्तविकता में पानी की व्यवस्था मुकम्मल नहीं हो पाई है।

बच्चों को खेलने की सुविधा देने के लिए नगर निगम व एमडीए ने शहर में पार्क तो विकसित कर दिए, लेकिन इन पार्कों में पेयजल की सुविधा के नाम पर हैंडपंप तक नहीं हैं। इस कारण लोगों को पीने के पानी के लिए भटकना पड़ता है। गौरतलब है कि, अमृत योजना के तहत मॉडल पार्क बनाए गए लेकिन मात्र 11 पार्क ही अब तक मॉडल बन पाएं हैं इसके अलावा बाकि पार्क निगम के सामान्य बजट से विकसित हो रहे हैं। लेकिन इसके बाद भी इन पार्कों में शुद्ध ठंडे पेयजल की सुविधा तक नदारद है।

वहीं, अधिकतर पार्क में पेयजल के नाम पर हैंडपंप की सुविधा दी गई थी, लेकिन हैंडपंप भी जर्जर स्थिति में है। वैसे तो शहर में कई पार्क बनाए गए हैं। 250 से ज्यादा पार्क तो एमडीए की आवासीय योजनाओं में ही हैं। साथ ही अमृत योजना के तहत बी ब्लाक शास्त्रीनगर के सामुदायिक पार्क, जागृति विहार के सेक्टर दो पार्क तथा मंगल पांडे नगर सेक्टर दो के पार्क का चयन करके इनका कायाकल्प किया गया। इन पार्कों पर 3.16 करोड़ तो खर्च किया गया, लेकिन पेयजल के नाम पर अधिकतर पार्क केवल हैंडपंप तक सीमित हैं। शहर के नाममात्र पार्क में ही वाटर कूलर की सुविधा उपलब्ध है।

सूरजकुंड पार्कमें वाटर कूलर भी नहीं

वैसे तो सूरजकुंड पार्क शहर का प्रमुख ऐतिहासिक पार्क है। यहां रोजाना कई लोग मार्निग और इवनिंग वॉक के लिए आते हैं। इसके अलावा दिनभर बच्चों से लेकर बुजुर्ग लोग पार्क में घूमने आते हैं। पार्क में जिम से लेकर खेलने कूदने के लिए झूलों की सुविधा तो उपलब्ध है, लेकिन पेयजल के लिए वाटर कूलर तक की व्यवस्था नही है। शहर के बीचों बीच बना लेडीज पार्क अंग्रेजों के जमाने का है। सन् 1935 में अंग्रेजों द्वारा बनाये गए इस पार्क में पीने के पानी के नाम पर केवल एक हैंडपंप की सुविधा है लेकिन वह हैंड पंप भी जर्जर हो चुका है।

लोहिया पार्क में भी नहीं पेयजल व्यवस्था

जेल चुंगी स्थिति लोहिया पार्क के सुंदरीकरण के लिए चार करोड़ की धनराशि स्वीकृति की जा चुकी है और इसमें से 1.25 करोड़ रुपए का बजट नगर निगम को मिल भी चुका है, लेकिन इसके बाद भी पेयजल व्यवस्था के लिए कुछ खास योजना नही बनाई गई है। जबकि इस पार्क में 4 करोड़ रुपए से सिर्फ सौदर्यीकरण किया जाना है।

अधिकतर पार्कों में पेयजल की सुविधा उपलब्ध है। वाटर कूलर लगाने के लिए बजट तैयार किया जाएगा। जहां जहां समस्या है वहां व्यवस्था की जाएगी। – अमित शर्मा, अवर अभियंता, निगम।

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