शारदा न्यूज़, संवाददाता |

मेरठ। राष्ट्रवादी विचारक, इतिहासकार, अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के संस्थापकों में से एक भारत सरकार की संस्कृति मंत्रालय के केंद्रीय सलाहकार बोर्ड के सदस्य रहे, भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद के सदस्य रहे प्रोफेसर सतीश चंद्र मित्तल ने अपना संपूर्ण जीवन भारतीय इतिहास और इतिहास लेखन में भारतीय राष्ट्रीय चेतना की दृष्टि से भारतीय इतिहास को समझने लिखने एवं जन सामान्य को बताने में लगा दिया था। वह जितने उच्च कोटि के इतिहासकार थे। उतने ही सरल और सहज व्यक्तित्व के धनी। उक्त उदगार इतिहास विभाग चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में प्रोफेसर सतीश चंद्र मित्तल की पुण्यतिथि के अवसर पर भारतीय इतिहास संकलन समिति मेरठ प्रांत के संगठन मंत्री डॉ कुलदीप कुमार त्यागी ने व्यक्त किये।

 

इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में इतिहास विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर विघ्नेश कुमार ने 36 वर्षों का प्रोफेसर सतीश चंद्र मित्तल के साथ बिताया गया समय और संस्मरणों को बताते हुए कहा कि उनके जैसा व्यक्ति विद्वान आसानी से इतिहास के किसी तथ्य पर सहमत होना बहुत मुश्किल था। वे 1857 की क्रांति को प्रारंभ में स्वाधीनता संग्राम ,समर लिखते रहे किंतु एक लंबे कालखंड के बाद और लगातार उनके साथ विमर्श के बाद 2015–16 से प्रोफेसर मित्तल भी 1857 की महा क्रांति लिखना और बताना प्रारंभ कर दिए थे। उनका व्यक्तित्व अत्यंत सादगी भरा था। 81 वर्ष की आयु में भी अकेले प्रवास करते थे।

 

मेरठ जब भी उनके प्रवास हुआ वह विक्टोरिया पार्क स्थित मेरे आवास पर ही रुकते थे प्रोफेसर त्यागी ने उनके साथ बिताए गए स्मृतियों को अपनी अनेक संस्मरणों के द्वारा सामने रखा तथा प्रोफेसर सतीश चंद्र मित्र द्वारा लिखित पांच दर्जन से अधिक किताबें का उल्लेख भी किया। इस अवसर पर प्रोफेसर के के शर्मा ने कहां कि उनके द्वारा बताए गए रास्ते पर चलकर भारतीय इतिहास के क्षेत्र में की गई सेवा ही उनको सच्ची श्रद्धांजलि होगी आज हम सभी संकल्प लें कि हम सभी भारतीय इतिहास के क्षेत्र में उनका अनुसरण करेंगे। प्रोफेसर ए वी कौर ने प्रोफेसर मित्तल द्वारा भारतीय इतिहास के क्षेत्र में किये गये उल्लेखनीय योगदान को महत्वपूर्ण बताया। डा शुचि ने भी प्रोफेसर मित्तल को अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।

 

इस अवसर पर रूस के मीनिंन विश्वविद्यालय, नोभगौरोड के इतिहास विभाग के अध्यक्ष मिस्टर पीटर ने भी प्रोफेसर सतीश चंद्र मित्तल के प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए इतिहास के उच्च कोटि के इतिहासकार के रूप में प्रोफेसर मित्तल के द्वारा की गई योगदान के लिए नमन किया। उल्लेखनीय है कि आज महान इतिहासकार प्रोफेसर सतीश चंद्र मित्तल की पुण्यतिथि के अवसर पर इतिहास विभाग चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय द्वारा वीर बंदा बैरागी सभागार में श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इस अवसर पर पांच दर्जन से अधिक शोधार्थी एवं विद्यार्थीयों ने भाग लिया।

 

कार्यक्रम का संचालन करते हुए डॉक्टर योगेश कुमार ने प्रोफेसर सतीश चंद्र मित्तल के साथ बिताए गए समय का उल्लेख करते हुए कहा की इतिहास को अपने जीवन में जीने वाले प्रोफेसर मित्तल साहब वार्ता के समय अपने विषय में पूरी तरह डूब जाते थे।

 

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