शारदा रिपोर्टर मेरठ। हर साल पार्कों की साज सजावट के लिए निगम की ओर से कई योजनाएं बनाई जाती हैं। यही नहीं, लाखों रुपए का बजट भी तैयार किया जाता है। इसके तहत कुछ दिनों तक तो पार्कों की हालत सुधरती है। फिर कुछ दिनों बाद ही हालत जस की तस हो जाती है। दूसरी ओर शहर की कॉलोनियों के पार्कों तक बजट नहीं पहुंच पाता है। इसके चलते आवास विकास और एमडीए की कॉलोनियों के पार्कों की हालत खस्ता है। कुछ पार्कों को विधायक और सांसद निधि से संवार दिया जाता है लेकिन बहुत से पार्क वीरान और लावारिस पड़े हैं, जिनकी किसी को सुध नही है।
गौरतलब है कि, शहर के पार्कों की हालत सुधारने के लिए अमृत योजना के तहत मॉडल पार्क बनाए गए, लेकिन मात्र 11 पार्क ही अब तक मॉडल बन पाए हैं। इसके अलावा बाकी पार्क निगम के सामान्य बजट से विकसित हो रहे हैं। ऐसे में निगम के बजट से इन पार्कों में योगा, जिम, झूले, लाइट, बेंच आदि की सुविधाएं दिए जाने का निगम ने दावा किया था। साथ ही पार्क में कंपोस्टिंग की सुविधा को भी विकसित किया जाना था, लेकिन अधिकतर पार्कों की हालत खस्ता है।
झांडियों में गुम हुए पार्क: इन कुछ प्रमुख पार्कों की बात छोड़ दें तो आवास विकास और एमडीए की कालोनियों में बने 500 के करीब पार्क में अधिकतर पार्क बदहाल हैं। शास्त्री नगर, जागृति विहार, प्रवेश विहार, मंगल पांडेय नगर, मोहनपुरी, पांडव नगर आदि कालोनियों में बने पार्क बदहाली के कारण गंदगी और झाड़ियों के बीच गुम हो गए है। इन पार्क में झूले और बेंच जो लगाए गए थे वो भी जंग खाकर जर्जर हो चुके हैं। स्थिति यह है कि छोटे पार्क झाडियों से भरे हुए हैं, झूले गायब हैं और रैंप तक सुविधा नही है।
पार्कों से ये सुविधाएं नदारद
पार्क में बैठने के लिए बेंच की व्यवस्था, पार्क में ओपन एरिया जिम, योगा आदि की सुविधा, पार्क में साफ पेय जल और शौचालय की व्यवस्था, पार्क के कचरे के लिए डस्टबिन, पार्क में बच्चों के लिए झूले, सुरक्षा के लिए पार्क में लाइट, पार्क में वॉक के लिए अंदर चारों तरफ चौड़ा रैंप, पार्क के कचरे की कंपोस्टिंग के लिए यूनिट।