शारदा रिपोर्टर मेरठ। स्वच्छ भारत अभियान का भले ही हर तरफ असर दिखाई देता है। लेकिन शब-ए-बरात पर भी शहर के कई मोहल्ले आज भी इस अभियान से कोसों दूर हैं। गंदगी का अंबार, जाम पड़ी नालियां, जल निकासी समस्या जैसी समस्याएं शहर को स्वच्छ और सुंदर बनाने के सपने पर पानी फेर रही है।
कचरा ही शहर की पहचान बन चुका है। आप जिधर भी जाएंगे कचरे का अंबार नजर आएगा। जहां चाहे फेंक दिया कूड़ा। कौन रोकेगा, कौर टोकेगा। यत्र-तत्र कूड़ा कचरा फैलाकर शहर की सूरत बिगाड़ दी है। मुख्य पथ के किनारे चौक-चौराहों पर जमा कचरा लोगों के लिए कष्टप्रद स्थिति उत्पन्न करती है। शहर के गली मुहल्ले में कचरा जमा करने के लिए डस्टबीन लगाया गया है। नगर परिषद द्वारा डोर टू डोर डस्टबीन लगाया गया। इसके बावजूद चौक-चौराहे पर कचरे का अंबार लगा है।
शहर से कूड़ा निस्तारण का कोई ठोस इंतजाम सालों बाद नहीं हो पाया है। नगर निगम प्रशासन शहर की सफाई व्यवस्था को दुरुस्त रखने में नाकाम साबित हो रहा है। गंदगी से बीमारी फैलने का भी खतरा मंडरा रहा है। शहर की सफाई की स्थिति काफी दयनीय है। प्रतिदिन हजारों रुपये साफ-सफाई के नाम पर नगर निगम प्रशासन खर्च कर रहा है, लेकिन इसके बावजूद वर्षों से नालियों की साफ-सफाई नहीं हुई है। कई ऐसे वार्ड है जहां सफाई होती ही नहीं है। वहां के लोग खुद से अपने घरों के आसपास सफाई करने को मजबूर हो रहे हैं। जबकि नगर परिषद क्षेत्र में रहने वाले लोगों को साफ-सफाई के नाम पर टैक्स चुकाना पड़ रहा है।
नगर परिषद ने एनजीओ को शहर की साफ-सफाई की व्यवस्था सौंप दी है। इसके अलावा दैनिक मजदूर लगाए गए हैं। नगर क्षेत्र में साफ-सफाई के लिए लाखों रुपये खर्च किये जा रहे हैं। बताया गया है कि एनजीओ के हाथों में शहर की साफ-सफाई व्यवस्था और लचर हो गई है। प्रत्येक वार्ड में तीन से चार सफाई कर्मियों को लगाया गया है। कचरा उठाव के लिए कई ट्रैक्टर और मशीन है। लेकिन इसके बावजूद सफाई व्यवस्था की स्थिति बदहाल है।