गंगनहर से मिला लापता सिविल इंजीनियर का शव, परिवार में मचा कोहराम

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– आठ दिन पहले मानसिक तनाव के चलते कूदे थे नहर में।


शारदा रिपोर्टर मेरठ। आखिरकार आठ दिन की कड़ी मशक्कत के बाद सिविल इंजीनियर रवीश गर्ग का शव जानी गंगनहर से बरामद कर लिया गया। जानी के जोहरा पीर के पास पीएसी के गोताखोरों ने झाड़ियों में उलझे शव को बरामद कर लिया। रवीश सिर में चोट लगने के बाद से मानसिक तनाव में थे। जिससे परेशान होकर वो गंगनहर में खुद गए थे।

मेरठ के टीपी नगर थाना इलाके की गुप्ता कॉलोनी के रहने वाले रवीश गुप्ता सिविल इंजीनियर थे, एक जनवरी को उन्होंने पत्नी राधा और दो बेटियों को ससुराल भेज दिया था। शाम के वक्त पत्नी को फोन करके कहा कि, अब हमारी आखिरी बार बात हो रही है, इसके बाद वो गंगनहर में खुद गए थे। उनकी जैकेट और वॉकर वहीं से बरामद हुआ था। पुलिस ने गुमशुदगी दर्ज कर पीएसी के गोताखोर लगाए थे और आठ दिन बाद उनका शव गंग नहर से बरामद कर लिया गया। परिजनों ने शव की पहचान की। पुलिस ने शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। परिजनों का रो रोकर बुरा हाल है।

न्यू ईयर की सुबह रविश ने दोनों बेटियों के साथ पत्नी को उसके मायके भेज दिया। फिर दोपहर 2 बजे वॉकर से ही घर से निकले और शाम 4.30 बजे के करीब पत्नी को फोन कर कहा- ये आखिरी बार बात हो रही है। भोला झाल के पास खड़ा हूं। यहां नहर में कूदने जा रहा हूं। सारा सामान यहीं मिल जाएगा। इसके बाद फोन डिस्कनेक्ट हो गया था। घर वालों के मुताबिक, 2020 में रविश के सिर में गहरी चोट लगने पर नौकरी छूट गई। तब से वह वॉकर के सहारे चलते थे। पिता की पेंशन के सहारे एम्स से उनका इलाज चल रहा। इसी को लेकर वह डिप्रेशन में रहते थे।

पत्नी को किया आखिरी कॉल

टीपीनगर निवासी रविश गर्ग (30) सिविल इंजीनियर थे। घरवालों ने पुलिस की पूछताछ में बताया- रविश ने बुधवार सुबह पत्नी राधा और दोनों बेटियों को ससुराल भेज दिया। उसके बाद वाकर के सहारे 2 बजे घर से बाहर घूमने के लिए निकले।रविश ने बुधवार शाम करीब 4.30 बजे पत्नी को कॉल कर कहा कि, भोला झाल पर खड़ा हूं। आज आखिरी बार बातचीत हो रही है। यहां से मैं नहर में कूद रहा हूं। सारा सामान यहीं मिल जाएगा। इतना कहते ही रविश का फोन कट हो गया। उसके बाद किसी से बात नहीं हुई। पत्नी ने तभी घरवालों को पूरी बात बताई। फिर परिवार के लोग भोला झाल पर पहुंचे। गंगनहर किनारे भोला झाल पर जैकेट और वॉकर मिला।

घरवालों ने बताया कि रविश के सिर में चोट लग गई थी। नस दब जाने की वजह से वह चार साल से वॉकर के सहारे चल रहे थे। इसलिए वो डिप्रेशन में रहते थे। रविश एमपीएस ग्रुप में सिविल इंजीनियर की नौकरी करते थे। 2020 में सिर में चोट लगने से बीमार हुए तो नौकरी छोड़नी पड़ी। फिलहाल घर पर ही रहते थे। हाल में गुरुग्राम के एक अस्पताल में मुंबई के डॉक्टरों की टीम बुलाकर आॅपरेशन कराया था। उसके बाद भी सही नहीं हो पाए। फिलहाल एम्स से उनका इलाज चल रहा था।

थाना टीपीनगर के गुप्ता कॉलोनी में एलआईसी से रिटायर्ड सतेंद्र कुमार गर्ग का परिवार रहता है। उनके तीन बेटे मनीष, रविश और यश हैं। इसमें बड़ा बेटा रविश की लाश मिली है। पुलिस ने लाश बरामद होने के बाद घरवालों को मौके पर बुलाया। इसके बाद लाश की पहचान कराई। घरवालों ने पहचान के बाद पुलिस ने शव पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया।

 

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