RSS प्रमुख मोहन भागवत के मस्जिद वाले बयान पर रामभद्राचार्य का पलटवार

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Rambhadracharya On Mohan Bhagwat: RSS प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर स्वामी रामभद्राचार्य ने पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि यह उनका व्यक्तिगत बयान हो सकता है। वह संघ के संचालक हो सकते हैं, हिंदू धर्म के नहीं। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था कि मंदिर-मस्जिद से जुड़ा मुद्दा कुछ लोग इसलिए उठाते हैं ताकि वे खुद को हिंदुओं के नेता के रूप में स्थापित कर सकें विशेष रूप से राम मंदिर के संदर्भ में ऐसी बातें ज्यादा देखने को मिल रही हैं। आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा कि उनका बयान व्यक्तिगत हो सकता, इससे हमारा कोई लेना देना नहीं है, क्योंकि वो हमारे अनुशासक नहीं हैं।

 मोहन भागवत के इस बयान पर मीडिया से बात करते हुए स्वामी रामभद्राचार्य महाराज ने कहा, “उनका यह बयान व्यक्तिगत हो सकता, इससे हमारा कोई लेना देना नहीं है, क्योंकि वो हमारे अनुशासक नहीं हैं। वो संघ के संचालक हो सकते हैं, हिंदू धर्म के नहीं। हमारा ध्यान सदैव धर्म के अनुशासन और सत्य पर रहता है। जहां-जहां हिंदू धर्म के प्रमाणित स्थल हैं, वहां हमारी उपस्थिति होगी।”

उन्होंने कहा, “जहां भी प्राचीन मंदिरों के प्रमाण उपलब्ध होंगे, हम उन्हें दोबारा स्थापित करने का प्रयास करेंगे। यह हमारे लिए कोई नई कल्पना नहीं है, बल्कि सत्य के आधार पर हमारी संस्कृति और धर्म का संरक्षण है।” उत्तर प्रदेश के संभल में हिंसा के दौरान मारे गए लोगों की घटना को उन्होंने दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उन्‍होंने कहा कि हिंदुओं को एक होना चाहिए, उनका ध्रुवीकरण नहीं होना चाहिए।

बांग्लादेशी हिंदूओं पर क्या बोले स्वामी रामभद्राचार्य

पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार को लेकर उन्होंने कहा कि सरकार इस पर कदम उठा रही है, लेकिन अब और कठोर कदम उठाना चाहिए। पीएम नरेंद्र मोदी से कहूंगा कि वो कठोर रुख अपनाएं। इसके साथ उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित होने वाले कुंभ के आयोजन पर उन्होंने खुशी जाहिर की।

बता दें, कि मुंबई में कांदिवली के ठाकुर विलेज में भव्य राम कथा का आयोजन किया गया है, जिसमें प्रसिद्ध संत स्वामी रामभद्राचार्य महाराज द्वारा सात दिनों तक कथा सुनाई जाएगी। इस आयोजन में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना है। कांदिवली ठाकुर विलेज में राम कथा के आयोजन का उद्देश्य केवल धर्म का प्रचार-प्रसार करना है। रामभद्राचार्य ने इसे श्रद्धालुओं के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का एक पवित्र अवसर बताया।

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