शारदा रिपोर्टर मेरठ। प्रदेश सरकार ने छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति का घपला रोकने के लिए आधार आधारित बायोमेट्रिक उपस्थिति अनिवार्य कर दी है। इसकी शुरूआत इसी शैक्षणिक सत्र में पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग से शुरू होने जा रही है।
पहले चरण में दशमोत्तर छात्रवृत्ति योजना के समूह-एक के पाठ्यक्रम में यह व्यवस्था लागू की जा रही है। अगले शैक्षिक सत्र 2025-26 से इसे समाज कल्याण सहित सभी विभागों की छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति योजनाओं में लागू कर दिया जाएगा।
दिव्यांगजन सशक्तिकरण एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) नरेंद्र कश्यप ने बताया कि छात्रों की उपस्थिति अब आधार आधारित बायोमेट्रिक/फेशियल के माध्यम से सुनिश्चित की जाएगी। पहले चरण में इसे वर्तमान शैक्षणिक सत्र में दशमोत्तर छात्रवृत्ति में लागू किया जा रहा है। छात्रों की उपस्थिति 75 प्रतिशत या इससे कम होने पर उन्हें छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति का लाभ नहीं मिलेगा। उपस्थिति प्रमाणित करने और इस पर होने वाले सभी प्रकार के खर्च संबंधित शैक्षणिक संस्थान वहन करेंगे। शैक्षणिक संस्थाओं को निर्देशित किया गया है कि वे छात्रों की उपस्थिति आधार आधारित बायोमेट्रिक/फेशियल के माध्यम से सुनिश्चित करें।
उन्होंने बताया कि समूह-एक के पाठ्यक्रमों में बीएएमएस, बीआर्क, बीबीए एवं एमबीए एकीकृत (बीबीए एमबीए एकीकृत), बीडीएस, बीएफएडी, बी फार्मा, बीटेक (इंटीग्रेटेड), बीटेक/बीई, बीटेक एमटेक इंटीग्रेटेड, डाक्टर आफ फामेर्सी, एलएलएम, एलएलएम कोर्स इन ह्यूमन राइट्स एंड ड्यूटीज एजुकेशन, एलएलएम एक वर्ष, एमटेक, एमबीए, एमबीबीएस, एमडीएस, एमआईबी, एमपीटी, एमफार्मा, एमएस, मास्टर आॅफ फामेर्सी (फामार्कोलॉजी), मास्टर आॅफ फामेर्सी (फार्मास्यूटिकल केमिस्ट्री), मास्टर आॅफ फामेर्सी (फार्मास्यूटिक्स), एमबीए (इंटीग्रेटेड), एमसीए, एमडी आयुर्वेद, एमएस आयुर्वेद तथा पीएचडी शामिल हैं।