लोकसभा टिकट पाने के लिए पार्टी की इज्जत भी लगा रहे दांव पर,
अतुल प्रधान, भानु प्रताप सिंह और रफीक अंसारी के साथ योगेश वर्मा भी दौड़ मे।
ज्ञान प्रकाश संपादक
मेरठ। इस बार का लोकसभा का चुनाव समाजवादी पार्टी के लिए मुसीबत बनता जा रहा है। मेरठ सीट पर जिस तरह से घमासान मचा हुआ है उसने समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव की नींद उड़ा दी है। पहले इस सीट पर भानू प्रताप सिंह को उतारा गया। उन पर बाहरी होने का आरोप लगा तो उनका पत्ता काट दिया गया। इसके बाद अचानक अतुल प्रधान की एंट्री हुई। ये खुशी अतुल प्रधान खेमे के लिए ज्यादा देर तक नही टिक पाई।
बताया जा रहा है इस सीट के लिए शहर विधायक रफीक अंसारी भी अरमान पाले हुए है और नामांकन पत्र तक खरीद कर ले आए। इस बीच चुनावी टिकट की दौड़ में योगेश वर्मा भी शामिल हो गए। एक तरफ जहां भाजपा ने अरुण गोविल को प्रत्याशी बनाया है और उनके समर्थन में पार्टी के आयोजन भी हो रहे है। समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं का भी कहना है कि जिस तरह से टिकट को लेकर लड़ाई चल रही है वो पार्टी के लिए सही नही है। अगर टिकट जल्दी नही किया तो विरोध के स्वर और बढ़ जाएंगे।
जिस तरह से अतुल प्रधान को टिकट दिया गया उसको लेकर पार्टी के एक धड़े ने विरोध करना शुरू दिया था। समाजवादी पार्टी के लिए मेरठ के अलावा रामपुर, बिजनौर और मुरादाबाद में भी यही समस्या खड़ी हुई थी।
दरअसल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के चुनावी गठबंधन के बाद भले ही दोनो दलों में सीटों को लेकर समझौता हो गया है लेकिन समाजवादी पार्टी अपने अंतर्कलह से परेशान है। फूलपुर की विधायक अपना दल कमेरावादी की पल्लवी पटेल का ओवैसी की पार्टी के साथ जाने से जहां पार्टी को झटका लगा है
वहीं मेरठ में टिकट को लेकर चल रही लड़ाई पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती है क्योंकि बहुजन समाज पार्टी भी खुद को किसी से कमतर नहीं आंक रही है। फिलहाल कुछ भी हो समाजवादी पार्टी के लिए मेरठ के लिए उम्मीदवार चुनना आसान नहीं लग रहा है।