– मेडिकल में लावारिस घायल के इलाज के मांगे पांच सौ रूपये
– शनिवार को सड़क पर किसी वाहन की चपेट में आ गया था प्रभुदेवा
– इंसानियत के नाते एक शिक्षिका ने मेडिकल में कराया था भर्ती
– घंटो इलाज के लिए तड़पता रहा घायल
– नर्सिंग स्टॉफ ने पैर पर इंटे बांधने के बदले मांगे पांच सौ रूपये
प्रेमशंकर, मेरठ। सरकार गरीबों को हर तरह की चिकित्सा सेवाएं मुफ्त में उपलब्ध कराने के दावे करती है, लेकिन हकीकत के पीछे की तस्वीर कुछ और ही है। मेडिकल में भर्ती एक लावारिस घायल से इमरजेंसी के नर्सिंग स्टॉफ ने इलाज के नाम पर पांच सौ रूपये की मांग कर दी। इतना ही नहीं स्टॉफ ने घायल के ठीक होने का खर्च भी बताया।
एलएलआरएम कॉलेज में गरीब और लावारिसों का इलाज मुफ्त किया जाता है। सरकार द्वारा तमाम तरह की चिकित्सा सेवाएं और सुविधाएं सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध कराई गई है। जिनके द्वारा ऐसे लोगों का इलाज हो सके, जिनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। लेकिन मेडिकल कॉलेज में जो सच्चाई सामने आई, वह मेडिकल में गरीबों को मिलने वाली चिकित्सा सेवाओं की पोल खोलने के लिए कॉफी है।
यह है मामला
शनिवार दोपहर दो बजे करीब गांधी आश्रम चौराहे पर एक 60 वर्षीय बुजुर्ग सड़क पर पड़ा था। बताया जा रहा है उसे कोई अज्ञात वाहन चालक टक्कर मारकर भाग गया। लेकिन तड़पते हुए बुजुर्ग की मदद के लिए कोई आगे नहीं आ रहा था। तभी बेसिक शिक्षा विभाग की शिक्षिका मंजू दयाल ने घायल को तड़पते हुए देखा और 1012 एंबुलेंस को बुलाकर उसे मेडिकल में भर्ती कराया। भर्ती कराते समय मेडिकल के स्टॉफ ने शिक्षिका का मोबाइल नंबर ले लिया। इसके बाद स्टॉफ द्वारा शिक्षिका को फोन कर कहा गया कि आपने घायल का एक्स-रे क्यों नहीं कराया। जब शिक्षिका ने बताया कि वह तो घायल की मदद करने के लिए मेडिकल में आई थी। अब तो आगे की जिम्मेदारी मेडिकल के स्टॉफ की है। वहीं, स्टॉफ ने अपने फोन से घायल बात कराई तो उसने बताया कि उसका इलाज नहीं किया जा रहा है।
इलाज के बदले पांच सौ रूपये की मांग
शनिवार देर शाम जब शिक्षिका घायल का हाल जानने मेडिकल की इमरजेंसी पहुंची, तो उन्होंने देखा कि नर्सिंग स्टॉफ ने घायल के पैर को वजन देने के लिए इंटों से बांध रखा है। चलो यह तो इलाज की प्रक्रिया हो सकती है। लेकिन हद तो तब हो गई, जब नर्सिंग स्टॉफ ने इसके लिए शिक्षिका से पांच सौ रुपये की मांग कर डाली। जब शिक्षिका ने कहा कि यह तो सरकारी अस्पताल है और यहां इलाज मुफ्त होता है। इस पर नर्सिंग स्टॉफ से पांच सौ की जगह ढाई सौ रुपये देने को कहा गया।
इलाज का खर्च बताया 60 हजार
इतना ही नहीं, शिक्षिका के मोबाइल पर इमरजेंसी के स्टॉफ ने घायल के इलाज का पहले तो खर्च बारह हजार रुपये बताया, इसके बाद जब शिक्षिका तैयार हो गई, तो खर्च बढ़ाकर 60 हजार रुपये कर दिया गया। सवाल यह उठता है कि इमरजेंसी में तैनात नर्सिंग स्टॉफ किस हैसियत से इलाज का खर्च बता रहा है।
पहले भी लगते रहें है वसूली के आरोप
मेडिकल में इलाज के नाम पर पैसे मांगने का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी इमरजेंसी में निजी पैथोलॉजी के दलाल मरीजों से वसूली करते हुए पकड़े जा चुके है। जबकि एंबुलेंस चालकों द्वारा भी मरीजों को गुमराह कर निजी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। इस मामले मेंं मेडिकल प्रशासन द्वारा कड़ी कार्रवाई की गई थी। लेकिन अब फिर हालात पहले जैसे ही बन गए है।
जांच कराकर करेंगे कड़ी कार्रवाई
मेडिकल कालेज के प्राचार्य डा. आरसी गुप्ता ने इस मामले पर कहा कि मामला मेरे संज्ञान में नहीं है, लेकिन यदि ऐसा है तो यह बड़ा गंभीरा विषय है। हम जांच कराकर आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे।