– आवैसी की पार्टी के प्रत्याशी को लेकर भी टिकी हैं सबकी नजर
– भाजपा से वैश्य और एआईएमआईएम से मुस्लिम प्रत्याशी उतारे जाने की संभावना


अनुज मित्तल (संपादक संपादक)

मेरठ। लोकसभा चुनाव की अधिसूचना आज जारी हो चुकी है। राजनीतिक पार्टियां लगातार अपने प्रत्याशी भी घोषित करती जा रही हैं। लेकिन सभी दलों में कई सीटों पर अभी भी मंथन के बीच घमासान मचा हुआ है। भाजपा मे ही मेरठ और गाजियाबाद सीट को लेकर घमासान है। हालांकि मेरठ सीट पर बसपा और सपा प्रत्याशी घोषित कर चुकी हैं। लेकिन इन दोनों के प्रत्याशियों को लेकर दोनों ही दलों के स्थानीय नेता संतुष्ट नहीं है। वहीं आवैसी की पार्टी पर भी सबकी नजरें टिकी हैं।

मेरठ-हापुड़ लोकसभा सीट भाजपा की मजबूत सीट मानी जाती है। क्योंकि इस सीट पर वर्तमान सांसद राजेंद्र अग्रवाल 2009 से लगातार जीत हासिल करते आ रहे हैं। यह बात अलग है कि पिछले चुनाव में सपा-बसपा और रालोद गठबंधन के बीच भाजपा प्रत्याशी को यहां बहुत ही कम अंतर से जीत हासिल हुई थी। लेकिन इस बार बसपा के अलग होने से मामला फिर से बदला हुआ नजर आ रहा है।

बसपा ने इस सीट पर इस बार मुस्लिम के बजाए त्यागी पर दांव लगाया है। देवव्रत त्यागी इस सीट पर बसपा से प्रत्याशी होंगे। लेकिन बसपा का यह दांव कमजोर नजर आ रहा है। क्योंकि देवव्रत त्यागी क्षेत्र में जहां नया नाम हैं तो त्यागी बिरादरी में भी वह नेता के रूप में पहचान नहीं रखते हैं। क्योंकि त्यागी बिरादरी का वोट बैंक काफी समय से भाजपा का कट्टर वोट बैंक माना जाता है, तो ऐसे में देवव्रत त्यागी को दलित वोटों के साथ अपनी बिरादरी और अन्य बिरादरियों में बहुत मेहनत करनी होगी।

सपा ने मेरठ सीट पर बहुत ही चौंकाने वाला प्रत्याशी उतारा है। जिसे लेकर सपा के अंदर घमासान मचा हुआ है। समाजवादी पार्टी ने भानू प्रताप सिंह एडवोकेट को मैदान में उतारा है। दलित समाज से आने वाले भानू प्रताप जहां बुलंदशहर के रहने वाले हैं तो बहुत कम लोग यह जानते हैं कि वह ईवीएम हटाओ मुहिम से जुड़े हैं। लेकिन भानू प्रताप सिंह की मेरठ-हापुड़ लोकसभा सीट के दलितों पर भी पकड़ नजर नहीं आती है, तो ऐसे में पार्टी के स्थानीय नेता और कार्यकर्ता भी उन्हें कमजोर प्रत्याशी मानकर चल रहे हैं। यहां सपा का सहारा सिर्फ मुस्लिम वोट ही रहेंगे और अकेले मुस्लिम वोटों के बूते लोकसभा चुनाव जीतना मुश्किल है।

इन दोनों पार्टियों के प्रत्याशी घोषित होने के बाद अब सबकी नजर भाजपा पर है। भाजपा जातीय समीकरण को ध्यान में रखते हुए इस सीट पर किसी वैश्य को ही चुनाव लडाएगी, ऐसा माना जा रहा है। चर्चा थी कि भाजपा यहां किसी बाहरी वैश्य को चुनाव लड़ा सकती है, लेकिन पीयूष गोयल को दूसरी जगह से प्रत्याशी बनाए जाने के बाद अब स्थानीय वैश्य पर भी पार्टी को भरोसा करना होगा।

इन सबके बीच एक और चौंकाने वाली पार्टी एआईएमआईएम पर भी सबकी नजर है। क्योंकि नगर निगम चुनाव में आवैसी की पार्टी के प्रदर्शन ने सभी को चौंका दिया था। ऐसे में तय है कि आवैसी यहां से किसी मुस्लिम को ही उतारेंगे। यदि मुस्लिम अपनी बिरादरी के प्रत्याशी पर बंट गए तो भाजपा यहां चौथी बार जीत ही नहीं बल्कि रिकार्ड जीत हासिल कर सकती है। लेकिन यह सब प्रत्याशी घोषित होने के बाद ही तय हो पाएगा।

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