सहारनपुर। गजवा-ए-हिंद को लेकर नौ वर्ष पूर्व जारी किए फतवे को लेकर दारुल उलूम लगातार विवादों फंसा है। फतवे को लेकर पुलिस-प्रशासन की तरफ से भेजी गई रिपोर्ट पर राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने आपत्ति जताई है। आयोग की तरफ से दोबारा जिला प्रशासन को आदेश जारी किया गया, जिसमें कहा कि पुराने आदेशों की अनुपालन करते हुए 11 मार्च तक दोबारा रिपोर्ट दें। ऐसा न होने पर जिलाधिकारी और एसएसपी को पेश होने के लिए भी कहा है।
दरअसल, वर्ष 2015 में दारुल उलूम की वेबसाइट पर किसी व्यक्ति ने गजवा-ए-हिंद को लेकर जानकारी मांगी थी। जिस पर दारुल उलूम ने अपने जवाब में पुस्तक सुन्नत-अल-नसाई का हवाला दिया था। उन्होंने कहा था कि गजवा-ए-हिंद को लेकर इसमें पूरा एक अध्याय है। बाल संरक्षण आयोग ने कहा था कि यह देश विरोधी है, क्योंकि इसमें गजवा-ए-हिंद को इस्लाम के नजरिए से जायज बताया गया है। मामले में आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने जिलाधिकारी और एसएसपी को पत्र लिखकर कार्रवाई करने को कहा था और जांच रिपोर्ट भी मांगी थी। पुलिस-प्रशासनिक अधिकारियों ने दारुल उलूम में जाकर पूरे मामले की जानकारी जुटाई। दारुल उलूम की तरफ से लिखित में जवाब दिया गया था। कहा था कि यह पुराना फतवा है। इसका वर्तमान से कोई संबंध नहीं है। इसके बाद पुलिस-प्रशासन ने रिपोर्ट भेजी थी।
आयोग की ओर से पत्र मिला है, जिसमें मामले को लेकर दोबारा रिपोर्ट मांगी गई है। जांच कराकर जल्द रिपोर्ट भेजी जाएगी। – डॉ. दिनेश चंद्र, जिलाधिकारी
आयोग का पत्र आया है। जो भी निर्देश दिए गए हैं उनका पालन किया जाएगा। जांच कराकर जल्द दोबारा रिपोर्ट भेज दी जाएगी। – डॉ. विपिन ताडा, एसएसपी