Home उत्तर प्रदेश Meerut नगर निगम की बोर्ड बैठक: कार्यकारिणी बैठक में पार्षद ने जताया जान...

नगर निगम की बोर्ड बैठक: कार्यकारिणी बैठक में पार्षद ने जताया जान का खतरा

0

– वार्ड 31 के पार्षद कीर्ति घोपला पूर्व बैठक में हुई पिटाई पर तख्ती लेकर बैठे
– निगम कार्यकारिणी की सदस्या ने अभिनव एडवरटाइजिंग कंपनी का ठेका निरस्त करने की मांग उठाई।


शारदा रिपोर्टर

मेरठ। नगर निगम में आयोजित बोर्ड बैठक में एक बार फिर हंगामा हो गया। वार्ड 31 के पार्षद कीर्ति घोपला ने अपनी जान का खतरा बताते हुए बैठक से मूक वॉक आउट किया। वहीं वार्ड 60 से भाजपा पार्षद और निगम कार्यकारिणी की सदस्या रेखा शर्मा ने अभिनव विज्ञापन एजेंसी को मिले होडिँग ठेके को निरस्त करने की मांग की। हालांकि कुछ देर हंगामा होने के बाद बैठक सुचारू रूप पूरी हुई।

 

मेरठ नगर निगम में आयोजित बोर्ड बैठक

 

गुरूवार को नगर निगम में बोर्ड बैठक का आयोजन हुआ जिसमें कुछ देर हंगामे की स्थिति पैदा हो गई। कुछ दिन पहले निगम की बोर्ड बैठक में पार्षदों के साथ मारपीट हुई थी जिसमें बाद में समझौता हो गया था। लेकिन आज हुई बोर्ड बैठक में वार्ड 31 से सपा पार्षद कीर्ति घोपला एक पोस्टर लेकर बैठे, जिस पर एमएलसी धमेंद्र भारद्वाज व राज्य मंत्री सोमेंद्र तोमर से जान का खतरा बताया। इसके साथ ही उन्होंने उस पर मूक वॉक आउट करने की भी बात लिखी थी। बैठक में कीर्ति घोपला इस पोस्टर के साथ चुप बैठे रहे। कीर्ति घोपला का आरोप है कि राज्य मंत्री व एमएलसी ने भाजपा पार्षदों के साथ मिलकर उनके साथ मारपीट की थी। इसके बावजूद उन्हीं के खिलाफ देहलीगेट थाने पर मुकदमा दर्ज कराया गया। जबकि उनकी तहरीर पर पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। आज भी वह निगम के सदन में आते हुए खुद को असुरक्षित महसूस कर रहें है। कीर्ति ने अपनी जान को खतरा बताते हुए बैठक में मूक वॉक आउट के रूप में विरोध जताया।

 

MEERUT NAGAR NIGAM

 

दूसरी ओर वार्ड 60 की पार्षद और निगम कार्यकारिणी की सदस्या रेखा शर्मा ने दो दिन पहले नगर निगम द्वारा होर्डिंग ठेके छोड़े जाने पर आपत्ति जताते हुए ठेका निरस्त करने की मांग की।

निगम कार्यकारिणी की सदस्या रेखा शर्मा

 

रेखा का आरोप है कि नगर निगम के अधिकारियों द्वारा बार-बार एक ही कंपनी को होर्डिंग के ठेके क्यों दिये जा रहें है। जबकि अन्य ठेकेदारों को अनदेखा किया जा रहा है। निगम के प्रचार-प्रसार विभाग पर आरोप लगाया गया कि यहां ठेका छोड़ने के दौरान पारदर्शिता नहीं बरती जा रही है। जिस कंपनी को पहले से ही कई बार ठेका दिया जा चुका है उसे फिर से ठेका क्यों दिया गया इसके पीछे कहीं न कहीं सुविधाशुल्क वसूलने का खेल चल रहा है।

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here